झीरम घाटी हमला, गणपति-रमन्ना का नाम एफआईआर से क्यों हटा : बघेल
भाजपा द्वारा लगातार भूपेश बघेल के उस दावे पर सवाल उठाए जा रहे है जिसमें बघेल ने कहा था कि झीरम घाटी हमले के सबूत उनकी जेब में है। भाजपा के सवालों का जवाब देते हुए बघेल ने कहा, वर्ष 2014 अगस्त तक एफआईआर में रमन्ना और गणपति का उल्लेख था।सितंबर 2014 में एनआईए द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से रमन्ना और गणपति का नाम क्यों अलग हुआ?
बघेल ने पूछा कि, भाजपा बताए कि रमन्ना और गणपति का नाम एनआईए से क्यों हटाया गया? आप उन्हें क्यों बचाना चाहते हैं? क्या उद्देश्य है? आयोग की रिपोर्ट सीधे राजभवन को क्यों दी गयी? धरम लाल कौशिक स्टे लेने क्यों पहुंच गये?
बघेल ने कहा कि यह सवाल अब भी जिंदा है कि, नान घोटाले की जाँच पर स्टे लेने कौन गया धरम लाल कौशिक, आयोग के गठन पर स्टे लेने कौन गया-धरम लाल कौशिक। एफआईआर पर एनआईए भी बार-बार स्टे ले लेती है।भाजपा को जवाब देना होगा कि गणपति-रमन्ना का नाम एफआईआर से क्यों हटा?
बघेल ने आगे कहा, जिस दिन हमारी सरकार केंद्र में आएगी, उस दिन दूध का दूध और पानी का पानी होगा। षड्यंत्रकारी अपने उचित स्थान पर होंगे।
झीरम घाटी सुकमा जिले में आती है, यहां से 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा गुजर रही थी इस यात्रा पर घात लगाए बैठे सैकड़ों नक्सलियों ने हमला बोल दिया था। इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल के अलावा बस्तर के टाइगर के नाम से पहचाने जाने वाले महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के अलावा अन्य कांग्रेसियों सहित सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। इस हमले में कुल 30 लोग मारे गए थे। कांग्रेस की एक पूरी नेताओं की कतार खत्म हो गई थी, इस हमले में।
--आईएएनएस
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