चुनाव ड्यूटी में हुयी कर्मचारियों की मौतों पर 30 लाख मुआवजा देगी योगी सरकार, अभी कैबिनेट में अंतिम फैसला बाकी

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। चुनाव ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले 1200 कर्मचारियों को योगी सरकार 30 लाख रूपए मुआवजा देने पर विचार कर रही है। हालांकि योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस पर अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। इससे पूर्व यूपी सरकार ने चुनावों ड्यूटी में केवल तीन लोगों की मौत की बात सरकार ने मानी थी। प्रदेश में इस पर विवाद होने के बाद सरकार बैकफुट पर आ गयी है।

बताया जा रहा है कि निर्वाचन ड्यूटी के 30 दिन के अंदर अगर किसी कर्मचारी की मौत होती है और उसके बाद कोविड की रिपोर्ट है तो उसके परिवार वालों को 30 लाख रुपए दिए जाएंगे। अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए करीब 600 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। सरकार का अनुमान है कि मृतक आश्रित की संख्या एक हजार से 1200 तक हो सकती है। अभी 250 करोड़ रुपए हैं, लेकिन सरकार 350 करोड़ रुपए और इस मद में लाएगी। हालांकि पहले आयोग ने सिर्फ तीन लोगों को इस मुआवजे के योग्य पाया था। लेकिन अब उसकी संख्या काफी बढ़ गई है। उधर कर्मचारी संगठनों के अनुसान तीन हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना के दौरान मौत हुई है। इसमें करीब 2400 से ज्यादा की सूची सरकार को शिक्षक और कर्मचारी भेज चुके है। उसमें उनके द्वारा एक करोड़ रुपए की मांग की गई थी।

वहीं इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजित कुमार की पीठ ने 12 मई को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि चुनाव ड्यूटी में संक्रमित कर्मचारियों के परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा मिलना चाहिए। टिप्पणी की थी कि परिवार की आजीविका चलाने वाले व्यक्ति की जिंदगी का मुआवजा और वह भी राज्य और निर्वाचन आयोग की ओर से जानबूझकर उस व्यक्ति को आरटीपीसीआर सहायता के बगैर ड्यूटी करने के लिए बाध्य करने के चलते कम से कम एक करोड़ रुपए होना चाहिए। हमें आशा है कि राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार मुआवजे का राशि पर पुनर्विचार करेगी।