बदतर हाल: इलाज के इंतजार में बुजुर्ग ने दो दिन कार में गुजारे, डाक्‍टर करते रहे बहानेबाजी, मौत

अस्‍पताल में भर्ती नहीं किया ना ही आक्‍सीजन दी, कार में तड़पता रहा बुजुर्ग, डाक्‍टर बोले लाने में देर कर दी

 | 

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। यूपी में कोरोना से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। अस्‍पतालों के बाहर मरीजों का जमावड़ा है तो श्‍मशान घाटों में लाशों को जलाने के लिए जगह नहीं मिल रही है। राजधानी लखनऊ में मरीजों को अस्‍पताल में भर्ती भी नहीं किया जा रहा है। सरकार के लाख सख्त रवैये के बाद भी डाक्‍टर और अस्‍पताल कार्यशैली में सुधार नहीं कर रहे हैं। राजधानी लखनऊ में एक बुजुर्ग दो दिनों तक कार में ही अस्‍पताल के बाहर इंतजार करते रहे। हालत खराब होने पर परिजन आक्‍सीजन के लिए इधर उधर चक्‍कर लगाते रहे लेकिन ना ही अस्‍पताल में बेड मिला और ना ही आक्‍सीजन का सिलेंडर। शुक्रवार को जब बुजुर्ग को अस्‍पताल लाया गया तो डाक्‍टरों ने कह दिया इन्‍हें लाने में देर कर दी। लापरवाही का आलम यह है कि दो दिनों तक कोई सुध नहीं लेने के बाद आखिर इस तरह से डाक्‍टरों ने भी मौतों के ऊपर बहानेबाजी शुरू कर दी है।

यहां एक 60 साल के कोरोना मरीज अलीगंज निवासी सुशील कुमार श्रीवास्तव को लेकर उनके परिजन कार में ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ इधर-उधर अस्पतालों के चक्कर काटते रहे, लेकिन दो दिन तक किसी भी अस्पताल में बेड नहीं मिला। काफी मशक्कत के बाद गुरुवार रात बुजुर्ग को विवेकानंद अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि लाने में बहुत देरी हुई। शुक्रवार सुबह बुजुर्ग की मौत हो गई।

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल वालों ने यह कहकर भर्ती करने से मना कर दिया था कि पहले कोविड की रिपोर्ट लेकर आओ। सरकारी आदेश है कि जांच के नाम पर सिर्फ 700 रुपए लिया जा सकता है। मगर 15 सौ रुपए लिए गए। बावजूद इसके भर्ती करने में देरी गई है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसलिए परिजन तालकटोरा से पंद्रह हजार रुपए में प्राइवेट ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदकर लाए थे। मृतक शुगर और बीपी से पीड़ित थे।

वहीं, पूर्व मंत्री भगवती सिंह की कोरोना से मौत के 12 दिन बाद उनके बेटे राकेश कुमार सिंह की भी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इलाज में देरी होने की वजह से राकेश सिंह की मौत हुई है। लोहिया अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था। वहीं, उनके भाई भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।

पूर्व मंत्री भगवती सिंह का 4 अप्रैल को निधन हुआ था। उनका शव जब KGMU को दान किया गया तो जांच में कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था। पूर्व मंत्री के संपर्क में आने से उनके दोनों बेटे राकेश कुमार और हृदयेश कुमार सिंह भी कोरोना संक्रमित हुए। शुक्रवार सुबह राकेश का निधन हो गया। वे 67 साल के थे। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं। रिवर बैंक कॉलोनी स्थित आवास पर उनका निधन हुआ है।