स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह करनी होगी तैयारी पेपर्स की तैयारी, ये हैं कारण

 | 

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। यूपी बोर्ड 10वीं और 12वीं परीक्षाओं को लेकर तो शासन ने निर्णय ले लिया है, लेकिन अभी तक स्नातक और स्नात्कोत्तर की परीक्षाओं को लेकर असमंजस बना हुआ है। अभी तक जो तैयारी चल रही हैं, उससे साफ है कि अंतिम वर्ष की परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में एक विषय का एक प्रश्नपत्र बहुविकल्पीय तैयार किया जाएगा।

यदि बहुविकल्पीय प्रश्नपत्र तैयार किए गए तो एक तरफ शिक्षकों को प्रश्नपत्र तैयार करने तो दूसरी तरफ छात्रों को उसे हल करने में काफी मेहनत करनी होगी। इस तरह की परीक्षा प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह होगी, जिसमें छात्रों को अधिक तैयारी करनी पड़ेगी, क्योंकि नंबर कम आने पर उनका प्रतिशत कम हो जाएगा।

महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय में अभी तक स्नातक व परास्नातक की परीक्षाओं में जो प्रश्नपत्र तैयार किए जाते थे, उनमें अधिकतम पांच प्रश्न ही बहुविकल्पीय होते थे। अति लघु, लघु और विस्तृत प्रश्न पूछे जाते थे। इस तरह के प्रश्नपत्र विश्वविद्यालय परिसर व संबद्ध महाविद्यालयों से जुड़े शिक्षक प्रत्येक वर्ष तैयार करते आ रहे थे। इस तरह के प्रश्नपत्र तैयार करने में शिक्षकों को अधिक परेशानी नहीं होती थी।

साथ ही पहले एक विषय के दो या तीन अलग-अलग प्रश्नपत्र तैयार किए जाते थे। इससे पहले शिक्षकों ने सिर्फ प्रवेश प्रक्रिया के दौरान ही बहुविकल्पीय प्रश्नपत्र तैयार किए हैं, लेकिन इनमें अधिकांश विज्ञान विषय से संबंधित रहे हैं। ऐसे में अब शिक्षकों को पहली बार एक विषय में अलग-अलग प्रश्नपत्रों का समायोजन कर एक ही प्रश्नपत्र तैयार करना होगा।

शिक्षकों को मेहनत करनी होगी। दूसरी तरफ छात्रों की बात करें तो बहुविकल्पीय, अति लघु, लघु और विस्तृत प्रश्न होने के चलते छात्रों को प्रश्नपत्र हल करने में अधिक दिक्कत नहीं होती थी। कई छात्र तो कुछ दिनों की पढ़ाई करके ही पास हो जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा छात्र व्यक्तिगत फार्म भरकर परीक्षा देने वाले होते हैं, क्योंकि वह परीक्षा के दौरान ही गेस पेपर से तैयारी करते हैं।

पढ़ाई न होने से भी दिक्कत

इस वर्ष छात्रों के सामने एक और दिक्कत है, क्योंकि उनकी पढ़ाई भी सही से नहीं हो पायी है। भौतिक कक्षाओं का संचालन कुछ दिन ही हुआ और ऑनलाइन कक्षाओं में कई महाविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा पढ़ाई ही नहीं पूरी करायी गई। कई छात्र तो ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल ही नहीं हुए। ऐसे में उन्हें परीक्षा के दौरान अधिक तैयारी करनी होगी। तैयारी न होने पर छात्र के परिणाम पर भी असर पड़ेगा और उनका प्रतिशत भी कम हो जाएगा।