हाईप्रोफाइल सैफई सीट पर दशकों बाद हो रहा प्रधानी का चुनाव, निर्विरोध बने हैं अब तक प्रधान

दलित सीट आरक्षित होने के बाद मुलायम के करीब रामफल वाल्‍मीकि को प्रत्‍याशी बनाया है

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पैत्रक गांव सैफई में आजादी के बाद पहली बार प्रधानी के लिए चुनाव हो रहा है। इससे पहले यहां निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनने की परंपरा रही है। इस बार सैफई सीट दलित के लिए आरक्षित होने के बाद मुलायम सिंह के करीबी रामफल वाल्‍मीकि को मैदान में उतारा था लेकिन ऐन मौके पर एक अन्‍य प्रत्‍याशी विनीता ने भी नामांकन दाखिल करा दिया। जिसके चलते सैफई में इस बार चुनावी प्रक्रिया चल रही है।  1939 में जन्मे मुलायम सिंह यादव पहली बार 1967 में विधायक बने थे। साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई थी। हालांकि उनके राजनीति में उतरने से पहले ही गांव में निर्विरोध प्रधान चुने जाने की परंपरा रही है। सुबह सात बजे से सैफई के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में मतदान जारी है।

मुलायम के परिवार के लोगों ने किया मतदान

मुलायम सिंह के छोटे भाई अभय राम सिंह यादव, राजपाल यादव के साथ लालू यादव के दामाद पूर्व सांसद मैनपुरी तेज प्रताप यादव, भतीजे निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रत्याशी अभिषेक उर्फ अंशुल यादव ने मतदान केंद्र पर पहुंचकर मतदान किया है।

सैफई गांव में निर्विरोध प्रधान चुने जाने की परंपरा रही है। आजादी के बाद अब तक यहां कभी मतदान नहीं हुआ। यह पहला मौका जब सैफई गांव में प्रधान पद के लिए मतदान हो रहा है। पिछले साल 17 अक्टूबर को दर्शन सिंह यादव का निधन हो गया था। वे 1971 से लगातार प्रधान होते चले आ रहे थे।

मुलायम के भाई राजपाल यादव ने कहा कि जिस तरह पंचायत चुनाव में सपा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, उसी तरह विधानसभा चुनाव में भी अगर एक होकर चुनाव लड़ा जाए तो निश्चय ही समाजवादी पार्टी को सफलता मिलेगी। वहीं निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष अंशुल यादव ने कहा कि सपा और प्रसपा मिलकर इटावा की सभी जिला पंचायत सदस्य की सभी 24 सीट जीतने का काम करेगी। बता दें कि यूपी में कई पार्टियां सत्ता में आई गई लेकिन 1989 से लगातार समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी इटावा जिला पंचायत सीट पर काबिज होता चला आ रही है