गृहमंत्री से मुलाकात के मायने: केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल में हो सकती है अनुप्रिया की वापसी

यूपी मंत्रिमंडल विस्‍तार में भी अपना दल की हिस्‍सेदारी पर चर्चा

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। सीएम योगी आदित्‍यनाथ और अपना दल एस की अध्‍यक्ष सांसद अनुप्रिया पटेल की केन्‍द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के मायने यूपी में सियासी फेरबदल का संकेत दे रहे हैं। चर्चा है कि अनुप्रिया की मोदी कैबिनेट में वापसी संभव है वहीं उनके पति को भी यूपी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। अनुप्रिया को हरसिमरत कौर बादल की जगह केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

सूत्रों के अनुसार अनुप्रिया ने केंद्र के साथ उत्तर प्रदेश में भी संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में अपना दल के प्रतिनिधित्व को लेकर अमित शाह से बात की। यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रदेश के निगम और आयोग में पार्टी नेताओं को शामिल करने के लिए कहा। बताया जाता है कि कई मुद्दों पर शाह और अनुप्रिया में सहमति भी बन गई है।

2019 से नाराज हैं अनुप्रिया

2014 में जब मोदी सरकार आई थी तब अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन 2019 में उन्हें जगह नहीं मिली। इसके बाद से ही वे नाराज बताई जा रहीं थीं। हालांकि, उन्होंने मोदी सरकार या योगी सरकार पर खुलकर कभी भी हमला नहीं किया। अब अगले साल उत्तर-प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अनुप्रिया ने फिर से गठबंधन को लेकर भी बातचीत शुरू कर दी है।

बताया जाता है कि गुरुवार को अमित शाह से हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने ये कहा कि अगर अगले साल चुनाव में ये गठबंधन जारी रखना है तो इसके लिए उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कराया जाए और यूपी में उनके नेताओं को सरकार में जगह दी जाए। अनुप्रिया ने अपने MLC पति आशीष पटेल को योगी मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए भी दबाव बनाया। यूपी में अपना दल एस के 9 विधायक हैं। एक विधायक को मंत्री बनाया गया है।

अपना दल के सपा से गठबंधन के कयास

कुछ दिनों पहले तक यूपी में अनुप्रिया पटेल की समाजवादी पार्टी के साथ जाने को लेकर खूब चर्चा हो रही थी। कहा जा रहा था कि यूपी में सत्ताधारी बीजेपी को मात देने के लिए समाजवादी पार्टी इस बार छोटे-छोटे दलों को मिलाकर एक मजबूत गठबंधन बनाने में जुटी है। इस कड़ी में सपा की नजर अनुप्रिया पटेल की अपना दल (सोनेलाल) पर है। अनुप्रिया की कुर्मी वोटों पर काफी अच्छी पकड़ है। यह फैक्टर बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए काफी महत्व रखता है।