लखनऊ: लोहिया संस्‍थान का डाक्‍टर चला रहा था जीवन रक्षक दवाओं की ब्‍लैक मार्केटिंग का गैंग

पुलिस ने राजधानी के छह सीनियर डाक्‍टरों को किया गिरफ़्तार किया है

 | 

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। राजधानी लखनऊ में कोरोना और ब्‍लैक फंगस के इलाज में प्रयोग किए जाने वाले इंजेक्‍शनों की कालाबाजारी के आरोप में छह सीनियर डाक्‍टरों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस के अनुसार कालाबाजरी का यह धंधा लोहिया अस्‍पताल और किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में चल रहा था। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का डॉक्टर इस ब्लैक मार्केटिंग करने वाले गैंग को संचालित कर रहा था। बुधवार को वजीरगंज पुलिस ने डॉक्टर और केजीएमयू के कर्मचारियों समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि इंजेक्शन के कालाबाजारी पर पुलिस निगाह गड़ाए हुए है। इसी कड़ी में पता चला कि लोहिया अस्पताल और केजीएमयू से हर रोज इंजेक्शन चोरी हो रहे हैं। छानबीन की गई तो पता चला कि यह इंजेक्शन बाहर 15 से 20 हजार रुपए में बेचे जा रहे हैं।

सर्विलांस की मदद से इसमें लोहिया के डॉक्टर वामिक हुसैन के शामिल होने की पुष्टि हुई। इसकी मेडिकल विभाग से भी जांच करवाई गई तो डर वामिक के खिलाफ और पुख्ता साक्ष्य मिल गए। इसपर उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ की गई। पूछताछ में पता चला कि केजीएमयू के लैब टेक्नीशियन इमरान और आरिफ भी शामिल हैं।

इन दोनों को पकड़ा गया तो चिनहट ट्रामा सेंटर के फार्मासिस्ट बलवीर का नाम सामने आया। इसी तरह कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से तत्काल 18 इंजेक्शन बरामद किये गए। बाकी इंजेक्शन का पता लगाया जा रहा है।

पुलिस की जांच में सामने आया कि इस कालाबाजारी में कई बड़े अस्पतालों के डॉक्टर शामिल है। यह डॉक्टर कोरोना और ब्लैक फंगस मरीजों के तीमारदारों को बाहर से इंजेक्शन लाने का दबाव बनाते हैं। इसके बाद खुद उन्हें इंजेक्शन मिलने वाली जगह और इसे बेचने वालों की जानकारी देते हैं। परेशान तीमारदार मरीज की जान बचाने के लिए उनके बताए हुए व्यक्ति से संपर्क करते हैं। इंजेक्शन के बिक्री का पैसा ग्राहक भेजने वाले डॉक्टर तक पहुंच जाता है।