हाईकोर्ट ने कहा- खुशी दुबे को जमानत नहीं दे सकते, आठ पुलिसकर्मियों की हत्‍या गंभीर मामला

कानपुर के बिकरू कांड में खुशी दुबे को साजिशकर्ता बनाया गया है

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। कानपुर के बहुचर्चित बिकरूकांड में जेल में बंद खुशी की दुबे की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। खुशी दुबे को बिकरू कांड में साजिशकर्ता बनाया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आठ पुलिसकर्मियों की हत्‍या गंभीर अपराध है, इसलिए खुशी दुबे को जमानत नहीं दी जा सकती। खुश्‍याी दुबे माफिया विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्‍नी हैं।

बीते साल 2 जुलाई को कानपुर के बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दुबे के घर दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर हमला हुआ था। इसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने बाद में अमर और गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर किया था। खुशी इस प्रकरण में साजिशकर्ता है।

खुशी दुबे को पुलिस ने घटना के बाद गिरफ्तार कर जेल भेजा था। लेकिन वह नाबालिग निकली थी। जिस पर उसे बाराबंकी के एक शेल्टर होम में रखा गया है। उसने जमानत याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने एक जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। यह फैसला जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने दिया है।

स्‍वास्‍थ्‍य खराब होने का हवाला भी काम नहीं आया

खुशी ने खुद के बेगुनाह होने और जेल में सेहत खराब होने का हवाला देकर जमानत पर रिहा किए जाने की अपील की थी। इस मामले में जमानत अर्जी जनवरी में ही दाखिल की गई थी। कोरोना की वजह से पिछले कई महीनों से सुनवाई नहीं हो सकी थी। एक जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई दोबारा की गई।

कानपुर में दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुर धस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद उसी रात करीब 12:30 बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरु गांव में दबिश दी गई। मुखबिरों ने पुलिस की कार्रवाई को लीक कर दिया था। विकास और उसके गुर्गे पहले से ही घात लगाकर बैठे थे। घर तक पुलिस का वाहन न पहुंच सके इसलिए जेसीबी लगाकर रास्ता रोक दिया गया था। पुलिस की टीम जैसे ही जेसीबी तक पहुंचीं, बदमाशों ने उन पर छतों से गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं।

चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे। एक-एक पुलिसकर्मी को दर्जनों गोलियां मारी थीं। इसके बाद पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। 45 आरोपी जेल में बंद हैं। केस का ट्रायल जारी है।