एस्‍मा पर आमने सामने आए सरकार और कर्मचारी संगठन, लाकडाउन के बाद शुरू कर देते आंदोलन

सरकार के एस्‍मा लागू करने से कर्मचारी संगठनों में नाराजगी

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। लाकडाउन खत्‍म होने के बाद यूपी में कहीं कर्मचारी संगठन आंदोलन ना शुरू कर दें इसलिए सरकार ने प्रदेश में एस्‍मा लागू कर दिया। उधर एस्‍मा लागू होने के बाद अब कर्मचारी संगठन सरकार से नाराज हैं। वहीं अब यह फैसला कर्मचारी संगठन और उनके नेताओं के लिए मुसीबत बन गया है। लॉकडाउन खत्म होते ही ज्यादातर संगठन बैठक कर आंदोलन की तारीख घोषित करने वाले थे, ऐसे में इसको बढ़ा दिया गया है।

चुनाव ड्यूटी में मरने वाले कर्मचारियों की संख्या को लेकर भी सरकार और संगठन अभी आमने सामने है। चुनाव से पहले कर्मचारी अपनी आंदोलन को तेज करने वाले थे। अब नेताओं के लिए यह मुसिबत बन गया है कि वह अपनी मांगों को सरकार के सामने कैसे रखे। इससे पहले साल 2014, 2017 और 2019 के राज्य ओर केंद्र के चुनावों में प्रदेश के कर्मचारी और शिक्षकों को सरकार पर दबाव बनाया था। इसमें कई दफा उनको थोड़ी बहुत कामयाबी भी मिली थी।
इसमें पीजीआई समेत कई संस्थानों में कैशलेस इलाज, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की वेतन बढ़ोतरी और सचिवालय प्रशासन में कार्यरत कर्मचारियों की वेतन में बढ़ोतरी हुई थी। यहां तक की बिजली का निजीकरण भी नहीं हो पाया था। इसके पीछे साफ वजह से यह थी कि यह आंदोलन जब हुए उसके एक साल या छह महीने के अंदर प्रदेश में चुनाव होने वाले थे, लेकिन इस बार सरकार ने इनकी मंशा पर पानी फेर दिया है। कर्मचारी नेता रामराज दुबे, अजय सिंह, सतीश पांडेय, शशि मिश्रा, मनोज मिश्रा, सुरेश यादव समेत ज्यादा लोगों ने बताया कि वह आंदोलन जारी रखेंगे और जरूरत पड़ी तो सरकार के फैसले को कोर्ट से लेकर सड़क तक पर चुनोती देंगे । आरोप है कि यह कर्मचारियों को डराने का प्रयास है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के हरिकिशोर तिवारी कहते हैं कि सरकार किसी की भी रहे सबसे कर्मचारियों को धोखा दिया है। लेकिन हमारी ताकत और आंदोलन के कारण हमें नजरअंदाज नहीं कर पाते है। ऐसे में यह एस्मा लगाकर कर्मचारियों को रोकने की तैयारी है, इसको स्वीकार नहीं किया जाएगा।

साल 2014 लोकसभा चुनाव से पहले राज्य कर्मचारियों के दो बड़े संगठनों ने मांगों पर सकरात्मक कार्रवाई नहीं होने पर नोटा दबाने का ऐलान किया था। उस दौरान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद (हरिकिशोर तिवारी गुट) और राज्य कर्मचारी महासंघ (सतीश पांडेय गुट) ने विभागों में पोस्टर भी लगा दिया। इसके बाद सभी राजनीतिक दलों ने इस फैसले को वापस लेने का आग्रह किया । कर्मचारियों की ताकत ही थी, मौजूदा रक्षामंत्री और उस समय भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह ने मिलकर इस फैसले को बदलवाने का आग्रह किया था ।