डिजिटल वार से जुड़े चुनावी तारः क्या सोशल मीडिया एजेंसियों के सहारे चुनावी वैतरणी होगी पार…

सोशल मीडिया मैनेजमेंट मजबूत करने में जुटे सभी राजनैतिक दल, दर्जनों की संख्या में सोशल मीडिया एजेंसियों को किया जा रहा है हायर

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न्यूज टुडे नेटवर्क। यूपी विधानसभा चुनावों में इस बार डिजिटल वार को लेकर राजनैतिक दलों की तैयारी जारी है। पार्टियां डिजिटल चुनावी वार को लेकर सोशल मीडिया पर निर्भर हैं। सभी राजनैतिक दल डिजिटल ELECTION वार को लेकर एक दूसरे पर हावी रहना चाहते हैं। दरअसल चुनाव आयोग ने डिजिटली ELECTION कैम्पेनिंग को लेकर निर्देष जारी किए हैं। इसी को लेकर पार्टियां सोशल इंजीनियरिंग के जरिए खुद को मजबूत करना चाहती हैं। गौरतलब है कि इस बार विधानसभा चुनावों में फिजिकली रैलियों, जनसभाओं व जनसंपर्क पर भी रोक लगा दी है। लिहाजा राजनैतिक दल सोशल मीडिया के सहारे चुनावी नैया पार लगाने में जुटे हैं।

रैलियों, जनसभाओं पर प्रतिबंध के बाद अब सभी राजनैतिक दलों का झुकाव सोशल मीडिया प्लेटफार्म की ओर होने लगा है। इनमें सोशल मीडिया एजेंसियों का बड़ा रोल है। दलों ने बड़ी संख्या में सोशल मीडिया एजेंसियों को हायर किया हुआ है। यह सोशल मीडिया एजेंसियां दलों के सोशल मीडिया हैंडिलों को संचालित कर रहे हैं। ये सोशल मीडिया एजेंसियां अपने पास पहले से मौजूद डाटा को पार्टियों के लिए इस्तेमाल करके सोशल साइट्स पर पार्टियों की स्थिति को मजबूत करती हैं।

सोशल मीडिया एजेंसियों के जिम्मे अधिक से अधिक लोगों तक पार्टी के नेताओं की कवरेज के पोस्ट, ट्वीट आदि पहुंचाने की जिम्मदारी रहती है। अब चूंकि विधानसभा चुनावों में डिजिटली चुनाव प्रचार होना है तब सभी दलों ने एक साथ दर्जनों की संख्या में सोशल मीडिया मैनेजमेंट एजेंसियों को काम पर जुटा दिया है। ये सभी सोशल मीडिया मैनेजमेंट एजेंसियां पार्टियों को लेकर प्रचार प्रसार में जुट गयी हैं।

आईटी सेल पहले से ही सक्रिय

आचार संहिता की घोषणा के बाद डिजिटल चुनाव के आयोग के फैसले से पहले ही सूबे में सभी दलों ने आईटी सेल विकसित कर लिए थे। साल 2017 के चुनावों में भी सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाकर भाजपा सत्ता में आने में कामयाब हुयी थी। इसके अलावा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का आईटी सेल भी चुनावों से कई साल पहले ही विकसित किया जा चुका है। अब यह आईटी सेल पूरी तरह से सक्रिय हैं। हाल ही में कुछ दिन पूर्व सपा मुखिया अखिलेष यादव का यह बयान सामने आया था कि डिजिटली प्रचार में बीजेपी को फायदा होगा। अखिलेष के इस बयान के यह मायने निकाले जा रहे थे कि भाजपा का आईटी सेल बेहद मजबूत स्थिति में है।

90 फीसदी जनता के हाथ मोबाइल, लैपटाप

वर्तमान समय में करीब 90 फीसदी से अधिक जनता के हाथ में मोबाइल और लैपटाप मौजूद हैं। इसीलिए चुनावों में डिजिटली प्रचार प्रसार सभी दलों के लिए बेहद जरूरी हो गया है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है। इस बार के चुनावों में लाखों की संख्या में नए वोटर जुड़े हैं, ये युवा वोटर पहली बार वोट डालने वाले हैं। सभी पार्टियां इन नए युवा वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने का पूरा प्रयास कर रही हैं। सोशल मीडिया मैनेजमेंट एजेंसियों के जरिए राजनैतिक दल लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हैं। पार्टियों ने मुख्यालयों से लेकर जिलों तक सोशल मीडिया वार रूम बनाने की भी तैयारी कर रखी है।

चुनावों की घोषणा तो हो ही चुकी है। ऐसे में अगर चुनाव आयोग फिजिकली रैलियों व सभाओं की अनुमति पार्टियों को नहीं देती है तो वर्चुअली चुनाव प्रचार और तेज होगा। हालांकि अभी आयोग ने 15 जनवरी तक फिजिकली चुनाव प्रचार और रैलियों जनसभाओं पर रोक लगा रखी है। 15 जनवरी के बाद आयोग रैलियों व जनसभाओं के आयोजन पर विचार कर सकता है।