रायबरेली और प्रयागराज के गंगा किनारे भी कब्रिस्‍तान का खुलासा, सैकड़ों लाशें बरामद, पैसे की तंगी में दफनाए गए शव

एसडीएम ने साफ नकारा बोले वहां कोई लाश नहीं है

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। दो दिन पहले ही उन्‍नाव, गाजीपुर, बलिया और कानपुर में गंगा किनारे मिली लाशों के शोर थमा भी नहीं था कि शनिवार को रायबरेली और प्रयागराज में भी गंगा किनारे कब्रिस्‍तान का खुलासा हो गया। शनिवार को सैकड़ों की संख्‍या में लाशें गंगा किनारे दफन मिलीं। परिजनों ने पूछने पर बताया कि अंतिम संस्‍कार के पैसे नहीं थे सो शवों को नदी किनारे दफनाया गया था। रायबरेली में गेगासो गंगा घाट पर रेत में करीब 200 से ज्यादा शवों को देखकर ग्रामीण सहम गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन लाशों को अब कुत्ते नोच रहे हैं। ये लाशें पिछले एक महीने के अंदर ही यहां दफन की गई हैं। हालांकि एडीएम प्रशासन राम अभिलाष ने इसका खंडन किया है।

प्रयागराज में भी दफन शव मिले
प्रयागराज के फाफामऊ गंगा घाट के किनारे भी बड़ी संख्या में दफन शव मिले। आस-पास के लोगों ने बताया कि हर दिन करीब 15 से 20 शवों को यहां दफन किया जा रहा है। घाट किनारे शव को दफन करने आए एक शख्स ने बताया कि महंगी लकड़ी व दाह संस्कार के खर्च का बोझ नहीं उठा सकते हैं, इसलिए शव को यहीं दफन करके जा रहे हैं। मां गंगा इन्हें मुक्ति दे देंगी। घाट के किनारे करीब 150 से ज्यादा शव दफन हैं।

लकड़ी के दामों में इजाफा
कोरोना में मौतों की संख्या बढ़ने के चलते श्मशान घाटों पर लकड़ी के दामों में इजाफा देखने को मिला है। सामान्य दिनों में जहां लकड़ी 1000 रुपए क्विंटल बिकती थी, वहीं अब मनमाना रेट वसूला जा रहा है। नाम न जाहिर करने की शर्त पर प्रयागराज के फाफामऊ घाट पर दाह-संस्कार की सामग्री बेचने वाले एक शख्स ने बताया कि इस बार तो लकड़ी 1500 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल बिक रही है।

अभी शवदाह के लिए करीब 12 हजार तक खर्च हो रहे हैं। ऐसे गरीब जो अपने परिजनों के इलाज में पहले ही टूट चुके हैं, उनके लिए दाह-संस्कार में और पैसे खर्च कर पाना संभव नहीं हो पाता, लिहाजा वे गंगा में जहां कहीं जगह मिली शव दफना दे रहे हैं।