कालाबाजारियों की बल्‍ले बल्‍ले: रेमेडिसिवर और जीवन रक्षक दवाओं के साथ अब ब्‍लैक फंगस की दवाईयां भी बाजार से गायब

कानपुर में दवाई ना मिलने से ब्‍लैक फंगस के तीन मरीजों ने दम तोड़ा

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कई गुना दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं ब्‍लैक फंगस की दवाईयां

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। यूपी में अब कोरोना संकट के साथ साथ ब्‍लैक फंगस के मरीजों की संख्‍या लगातार बढ़ रही है। बीमारी की भयावहता को देखते हुए कालाबाजारियों ने भी रंग दिखाना शुरू कर दिया है। पहले कोरोना के इंजेक्‍शन रेमेडिसिवर की किल्‍लत बाजार में पैदा की गयी। अब ब्‍लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली दवाईयां और इंजेक्‍शन भी बाजार से गायब हैं। कहीं कहीं मरीजों को दो गुने से लेकर कई गुना दामों पर भी ब्‍लैक फंगस के लिए कारगर इंजेक्‍शन नहीं मिल पा रहा है। समय से इलाज और दवाईयां नहीं मिलने से यूपी के कानपुर में ब्‍लैक फंगस से ग्रसित तीन मरीजों की मौत हो गयी।  लाला लाजपतराय चिकित्सालय (हैलेट) में शनिवार को ब्लैक फंगस के 3 मरीजों की मौत हो गई। एक ने हैलट में दम तोड़ा जबकि दो को रेफर कर दिया गया था। उन दोनों गंभीर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाने की वजह से रास्ते में ही मौत हो गई।

हमीरपुर के भरुआ सुमेरपुर के रहने वाले चंद्रशेखर ने बताया कि उनकी पत्नी राधाबाई (60) कोरोना संक्रमण से ठीक हो गई थीं। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ने पर डॉक्टर को दिखाया तो ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। हैलट में उन्हें 21 मई को भर्ती कराया था। हालत गंभीर होने पर शनिवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। वही दूसरी मरीज गांधीनगर तालग्राम कन्नौज निवासी उषा देवी को भी को भी 21 मई को हैलट में भर्ती कराया गया था। पति बृजेंद्र प्रसाद ने बताया कि हालत गंभीर थी। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया तो हालात में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि और गंभीर हो गईं। इसके चलते हैलट में डॉक्टरों ने उनका इलाज करने से मना कर दिया और लखनऊ केजीएमयू रेफर कर दिया गया था। लखनऊ ले जाने के दौरान ही रास्ते में उन्होंने भी दम तोड़ दिया। तीसरे ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज की भी मौत हुई है। जिसकी जानकारी मेडिकल कॉलेज और जिला प्रशासन जुटान में लगा है।

दवाओं के संकट से ब्लैक फंगस के मरीज तोड़ रहे दमकोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस मरीजों पर कहर बनकर टूट रहा है। ब्लैक फंगस के इंजेक्शन और दवाएं मार्केट से पूरी तरह गायब हो चुकी हैं और दोगुने दामों पर बाजार में बिक रही हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन और दवाएं नहीं है। इस कारण सबसे अधिक ब्लैक फंगस के मरीज इलाज ना मिलने की वजह से दम तोड़ रहे हैं।

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने सिर्फ एक मौत स्वीकारी, दो की हो चुकी है पहले मौतमेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आरबी कमल ने बताया कि ब्लैक फंगस की गंभीर मरीज राधाबाई की इलाज के दौरान हैलेट में मौत हुई है। अन्य गंभीर मरीजों को लखनऊ केजीएमयू रेफर किया गया था। उनके मौत की जानकारी नहीं है।