महान छठ पूजा का समापन, सूर्य को अर्ध्य देकर महामारी से बचाव की प्रार्थनाएं

न्यूज टुडे नेटवर्क। प्रकृति के पूजन को बढ़ावा देने वाली महान छठ पूजा का शनिवार को समापन हो गया। सूर्य को अर्ध्य अर्पण करने के साथ ही व्रत पूर्ण किया गया। छठ घाटों पर पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना किया गया। प्रदेश भर में पूर्वांचली संस्कृति से ओतप्रोत इस छठ महापर्व पर आस्था का सागर
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महान छठ पूजा का समापन, सूर्य को अर्ध्य  देकर महामारी से बचाव की प्रार्थनाएं

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। प्रकृति के पूजन को बढ़ावा देने वाली महान छठ पूजा का शनिवार को समापन हो गया। सूर्य को अर्ध्‍य अर्पण करने के साथ ही व्रत पूर्ण किया गया। छठ घाटों पर पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना किया गया। प्रदेश भर में पूर्वांचली संस्‍कृति से ओतप्रोत इस छठ महापर्व पर आस्‍था का सागर उमड़ता दिखाई दिया।

छठ पूजा के दूसरे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह 6.39 बजे सूर्य के उदय होते ही घाटों पर जयघोष होने लगा। व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्‍य देकर मंगलकामना की। इस दौरान कई घाटों पर लोगों ने आतिशबाजी करके भी अपनी खुशी का इजहार किया।

कई श्रद्धालु नाच-गाकर खुशी मनाते नज़र आए। नदी और तालाबों में महिलाएं सुबह चार बजे से ही कमर भर पानी में खड़ी होकर सूर्योदय की प्रतीक्षा कर रही थीं। उनकी आंखें पूरब दिशा में आकाश की ओर टिकी थीं। सूर्योदय होते ही व्रती महिलाओं ने उन्हें दूध और जल का अर्घ्य देकर प्रसाद अर्पित किया।

अघ्र्य देकर पुत्र, परिवार और समाज के कल्याण की मंगलकामना की। कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। इज्जतनगर के नगरिया परीक्षित घाट, रुहेलखंड विश्वविद्यालय और आईवीआरआई में बने घाटों पर महिलाओं ने छठी मैया के गीत गाए और एक-दूसरे को बधाई दी। छठी व्रत का महिलाओं ने प्रसाद खाकर पारण किया और घरों में प्रसाद वितरित किए गए। इस मौके पर घाटो पर फूल-पत्तियों से खूब सजाया गया था। महिलाओं ने श्रद्धाभाव से उगते सूर्य देव को अघ्र्य देकर विधिविधान से छठी से व्रत संपूर्ण किया।

हालांकि छठ पूजन के दौरान कोविड के नियमों का पालन नहीं हो सका। सोशल डिस्‍टेंसिंग और मास्‍क लगाने के नियमों को खूब अनदेखा किया गया। प्रशासन भी छठ घाटों पर कोविड नियमों के पालन को लेकर असहाय नजर आया।