हल्द्वानी-सीएम के दर्द को सुरों में ऐसे बयां किया बीके सामंत ने, रिलीज हुआ तु ऐजा औ पहाड़
हल्द्वानी-आज सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत (Superstar folk singer BK Samant) का गीत तु ऐजा ओ पहाड़ रिलीज हो गया है। पलायन पर आधारित इस गीत को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने लांच किया। बीके सामंत ने जिस तरह पहाड़ के दर्द को अपने शब्दों में बयां किया है, उससे साफ होता है कि शहरों में बसे युवाओं के दिलों में पहाड़ को छोडऩे का दर्द कितना है। थल की बजारा जैसे सुपरहिट गीत देने के बाद एक बार फिर सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत (Superstar folk singer BK Samant) ने पलायन का जो दर्द लोगों के समथ रखा है। उसे बस उनके गाये शब्दों से समझा जा सकता है। यह गीत उनके यू-ट्यूब चैनल श्रीकुंवर इंटरटेनमेंट से रिलीज हुआ है।
युवाओं को अपनी जड़ों से जुडऩे की कसक- सीएम
इस मौके पर मुख्यमंत्री (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने लोकगायक बीके सामंत को सम्मानित करते हुए कहा कि पलायन बड़ी समस्या है। पिछले दो वर्षों में हमने पलायन को रोकने के लिए संजीदा प्रयास किए हैं। रूरल ग्रोथ सेंटर, होम स्टे, पर्यटन के नए क्षेत्र विकसित करना, पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन, कनेक्टीविटी बढ़ाना इसी दिशा में किए गए प्रयास हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी खुशी की बात है कि हमारे युवाओं में अपनी जड़ों से जुडऩे की कसक है। बहुत से लोग अपने गांव आए हैं और आर्थिक गतिविधियां शुरू की हैं। बीके सामंत ने कहा कि मुख्यमंत्री के पलायन को रोकने के लिए की जा रही कोशिशों को देखकर उन्हें लगा कि उन्हें भी कुछ करना चाहिए। उनका प्रयास है कि इस गीत के माध्यम से प्रवासी उत्तराखंडवासी अपने पहाड़ की ओर लौट सके। इस अवसर पर आरजे काव्या, संजय शर्मा, दीपक नौटियाल, अनिल सती, वैभव आदि मौजूद थे।
सामंत ने बयां किया पलायन का दर्द
सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत (Superstar folk singer BK Samant) ने बताया कि लंबे समय से वह पलायन पर कुछ अलग करने की सोच रहे थे। उन्होंने काफी मेहनत से इस गीत को तैयार किया। उन्होंने इस गीत में बचपन के दिनों से लेकर पहाड़ों में मनाये जाने वाले त्योहार का बड़ा मार्मिक वर्णन किया है। उन्होंने पहाड़ में बंद पड़े घरों, कफुवे (चिडिय़ा) की आवाज, घुघुतियां का त्योहार, सर्दी के दिनों में बादल का आने का सुंदर वर्णन किया है। उन्होंने अपने गीत में पहाड़ के दर्द को प्रकृति साथ जोडक़र अपने शब्दों में पिरोया है। यह गीत आपके आंखों में आंसू ला देगा। पलायन कर रहे लोगों को पहाड़ न छोडऩे की सलाह देते हुए इस गीत ने लोगों के दिलों में अपनी जगह पक्की कर ली।
दो करोड़ से ऊपर पहुंचा थल की बजारा
बीके सामंत ने खुद इस गीत को लिखा और खुद ही म्यूजिक तैयार किया है। जिस तरह वह काफी कम समय में एक बड़े लोकगायक के तौर पर उभरे है। वह उत्तराखंड के लिए एक अच्छा संकेत है। इस गीत को दिल्ली, देहरादून और बेतालघाट में फिल्माया गया है। इस बार उनके साथ रेड एफ रेडियों के आरजे काव्य (RJ Kavya Red FM) भी नजर आ रहे है। जो इस गीत मेंं चार चांद लगाने का काम कर रहे हैं। कुल मिलाकर पलायन पर यह लोगों को संदेश देने वाला एक शानदार गीत आया है। जो आगे चलकर उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगीतों में अपनी जगह बनाने की होड़ में है। इससे पहले भी बीके सामंत थल की बजारा, सातों जनम सातों वचन, यो मेरो पहाड़ आदि कई सुपरहिट गीत दे चुके हैं। उनक थल की बजारा गीत दो करोड़ से ऊपर लोग देख चुके हैं।