Uttarakhand News - पिरूल से बनेगीं ईटें, 24 घंटे में खाते पर ऑनलाइन जाएगी रकम, 50 रुपए किलो बिकेगा ऐसे खरीदेंगे

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Uttarakhand Pirul Employment - उत्तराखंड में वनाग्नि का एक कारण पिरूल रहा है, अब इस पिरूल को जंगल से हटाने के साथ स्थानीय लोगों को आय बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत पीसीबी 50 रुपये प्रति किलो पिरूल खरीदने की योजना बनाई है, अब इस योजना में एप मददगार बनेगा। इस एप के माध्यम से पिरूल की खरीद समेत अन्य प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा। पिरूल बेचने वाले के खाते में 24 घंटे में ऑनलाइन रकम पहुंच जाएगी।


प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं ने चिंता में डाल दिया था, कुछ दिन पूर्व तक जंगल धधक रहे थे। बरसात के बाद आग काबू हो सकी। जंगल में आग एक बड़ा कारण चीड़ की पत्ती पिरूल को माना जाता है। राज्य में जंगलात की 244 रेंज है, इसमें 137 रेंज में पिरूल गिरता है, जंगल में करीब 24 लाख टन तक पिरूल होता है।  पिरूल से निपटने की कोशिश हुई,  लेकिन व्यापक स्तर पर सफल नहीं हुई है। अब इससे निपटने के लिए पचास रुपये प्रति किलो तक पिरूल खरीदने की तैयारी है, यह खरीद पीसीबी करेगा।


प्रक्रिया में एप बनेगा मददगार - 
पीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर योजना को तैयार किया जा रहा है। इसमें पीसीबी पिरूल को खरीदने की योजना के नियम और शर्तों को तैयार कर रहा है। इस योजना एप का इस्तेमाल होगा। पिरूल को खरीद कर निकट के रेंज कार्यालय लेकर पहुंचेंगे। यहां पर एक गोदाम बनाया जाएगा। रेंज कार्यालय में पिरूल की तौल होगी। उसके माध्यम से तैयार किए जाने वाले एप में पिरूल विक्रेता के नाम, बैंक खाता संख्या, आधार की सूचना समेत अन्य डिटेल को भरा जाएगा। इसमें फोटोग्राफ भी अपलोड होगा। एप में सूचना भरने के बाद डिटेल पीसीबी के पास पहुंचेगी। फिर उसका सत्यापन किया जाएगा। फिर पिरूल की मात्रा के हिसाब से संबंधित विक्रेता के खाते में 24 घंटे में राशि पहुंच जाएगी। इससे पारदर्शिता भी रहेगी। एप को तैयार करने का काम चल रहा है।


पर्यावरण के लिए भी फायदा लोगों की आय का विकल्प भी - 
प्रदेश में नवंबर-2023 से 14 अप्रैल तक 1065 जंगल की आग की घटना हुई, इसमें 1439 हेक्टेयर में वन संपदा को नुकसान पहुंचा। जंगल की आग से पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ है। डॉ धकाते कहते हैं कि अगर जंगल की आग कम होती है तो इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा। इसके अलावा पिरूल की बिक्री से लोगों के पास आय का एक विकल्प बढ़ेगा। आर्थिक मजबूती में यह फायदे मंद साबित होगी।


जून में भिंगराड़ा में स्थापित होगी ब्रिकेट यूनिट - 
इस मुद्दे पर जानकारी साझा करते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि यूकास्ट द्वारा जून माह में चंपावत के पाटी ब्लॉक के भिंगराड़ा में पिरुल द्वारा ब्रिकेट (ईंट) बनाने की यूनिट लगाई जाएगी। इसके लिए भिंगराड़ा की महिलाओं द्वारा पिरुल एकत्रित करना शुरू कर दिया गया है, जिससे जंगलों में पिरुल की सफाई होने लगी है। बताते चलें कि ब्रिकेट यूनिट की स्थापना यूकास्ट द्वारा आईआईपी देहरादून की मदद से की जाएगी।

ग्रामीणों को दी ब्रिकेट बनाने की ट्रेनिंग - 
सरकार द्वारा संचालित की गई पिरुल लाओ, पैसा पाओ योजना को सफल बनाने के लिए भिंगराड़ा में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम, देहरादून के विज्ञानी डॉ. पंकज आर्य के नेतृत्व में पिरुल से ब्रिकेट्स (ईंट) बनाने की कार्यशाला व ट्रेनिंग का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान वनों को आग से बचने के तौर तरीके पर भी विस्तार से जानकारी साझा की गई। वनाग्नि चंपावत की नोडल अधिकारी सीसीएफ डॉ. तेजस्विनी पाटिल ने बताया कि पिरुल एकत्रीकरण से ना केवल वनाग्नि से बचाव होगा बल्कि ये ग्रामीणों की आय का जरिया भी बनेगी।


कैसे इस्तेमाल की जाएगीं ब्रिकेट्स - 
पिरुल द्वारा बनाई जा रही इन ब्रिकेट्स का इस्तेमाल उन्नत चूल्हों के रूप में घरों में ऊर्जा संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से किया जाएगा। इस ब्रिकेटिंग यूनिट को महिला सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत चंपावत में बनने वाले एनर्जी पार्क में स्थापित किया जाएगा। साथ ही ब्रिकेट का उपयोग ईंधन के रूप में घरों और उद्योगों में किया जा सकेगा।

 

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