Pyre Film - फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी ने बनाई ऐसी पिक्चर दुनियां में हुई फेमस, उत्तराखंड में पलायन से लेकर दर्शायी है प्रेम कहानी 
 

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Pyre Film By Vinod Kapri - उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म "Pyre" ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। फिल्म निर्माता और निर्देशक विनोद कापड़ी ने इस सच्ची कहानी पर आधारित फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया है। यूरोप के देश एस्टोनिया की राजधानी तेलिन में आयोजित होने वाले ‘तेलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल’ में इस साल भारत से फिल्म 'पायर' को फिल्म गाला कैटेगरी में प्रदर्शित किया गया है। बुधवार 19 नवम्बर को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता और निर्देशक विनोद कापड़ी सहित कास्ट एंड क्रू ने खुशी जाहिर की। 


पलायन से खाली हुए गांव और बुजुर्ग दंपति की है प्रेम कहानी - 
विनोद कापड़ी की (Director Vinod Kapri's Pyre Film in Uttarakhand) फ़िल्म "पायर" हिमालय की पृष्ठभूमि में बुजुर्गों की अनकही प्रेम कहानी को पेश करती है, साथ ही कहानी का आधार यह भी है की उत्तराखंड के पहाड़ और गांव पलायन के दंश से खाली हो चुके हैं इन "भूतिया गांवों" की पृष्ठभूमि में बुजुर्ग दंपति की सच्ची कहानी पर आधारित है। यह दिखाता है कि जीवन के अंतिम पड़ाव में भी प्रेम और समर्पण कैसे जीवित रहते हैं। पायर का चयन यूरोप के 28वें टैलिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में एकमात्र भारतीय फ़िल्म के रूप में होना इसका वैश्विक महत्व दर्शाता है। 



मुनस्यारी में विनोद कापड़ी ने किया पहाड़ का दर्द महसूस - 
विनोद कापड़ी बताते हैं साल 2017 में उत्तराखंड के मुनस्यारी में ट्रेकिंग पर गया थे, जहां चोटी पर उन्हें 80 साल का एक बुजुर्ग जोड़ा बकरियां चराता मिला। उनसे बात की तो पता चला कि वहां सड़क, बिजली, अस्पताल कुछ नहीं है। रोज उठो, बकरिया चराओ, खाना पकाओ, खाओ और सो जाओ, यही जीवन है, बुजुर्ग ने बताया की मेरी एक ही चिंता है कि उनकी पत्नी जब बीमार पड़ती है तो उसे नीचे ले जाने के लिए कोई जरिया नहीं रहता। अस्पताल ले जाने के लिए लोग भी नहीं हैं क्योंकि गांव खाली हो गए हैं।

अपनी जड़ों और पहाड़ों को छोड़ने का अब होता है पछतावा - कापड़ी

तब विनोद कापड़ी को लगा कि एक बुजुर्ग दंपति, जो बस एक दूसरे के लिए जीना चाहती है। उनके अपने दूर जाकर बस गए हैं, इनकी कहानी सुनानी चाहिए। कापड़ी ने सोचा यह फिल्म दुनिया के नाम पहाड़ों का एक प्रेम पत्र है। यह बेशक बहुत संवेदनशील विषय पर थोड़ी विचलित करने वाली फिल्म है, पर साथ ही एक अस्सी साल के बुजुर्ग जोड़ी की बहुत खूबसूरत सी लव स्टाेरी भी है। विनोद कापड़ी कहते हैं अपनी जड़ों और अपने पहाड़ों को छोड़ने का अब पछतावा होता है विनोद कापड़ी ने नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह को शुरू में कास्ट किया था। लेकिन कहानी की प्रमाणिकता बनाए रखने के लिए स्थानीय निवासियों आमा - बुबु को ही चुना। फिल्म में 80 वर्षीय पदम सिंह और हीरा देवी मुख्य भूमिकाओं में हैं। इन दोनों ने पहली बार कैमरे का सामना किया और यह उनकी पहली फिल्म है। 

 

आमा-बुबू भी प्रीमियर में हुए शामिल - 
एस्टोनिया की राजधानी तेलिन में हुए प्रीमियर में पदम सिंह और हीरा देवी ने भी हिस्सा लिया। यह उनकी पहली विदेश यात्रा थी और उन्होंने पहली बार प्लेन का अनुभव किया। उनकी उपस्थिति ने फिल्म की विशेषता को और बढ़ा दिया। प्रीमियर के दौरान दर्शकों ने फिल्म को खड़े होकर सराहा, और हॉल तालियों से गूंज उठा। "Pyre" न केवल उत्तराखंड की सादगी और संस्कृति को उजागर करती है, बल्कि यह दिखाती है कि सच्ची कहानियां भाषा और सीमाओं से परे जाकर लोगों के दिलों को छू सकती हैं।
 

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