Prakash Pandey PP - कुख्यात डॉन प्रकाश पांडेय बना सन्यासी प्रकाशानंद गिरी, जूना अखाड़े के कई मठों, आश्रमों का उत्तराधिकारी घोषित
Underworld don Prakash Pandey PP - साल 90 के दशक का कुमाऊं का सबसे बड़ा गैंगस्टर और जरायम की दुनिया का कुख्यात अपराधी प्रकाश पांडे उर्फ़ बंटी पांडे उर्फ़ पीपी ने जेल के भीतर ही विधिवत संन्यास ले लिया है. अब प्रकाश ने जरायम की दुनिया से हटकर, आध्यात्म की मंजिल तलाशी है. अल्मोड़ा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कुख्यात डॉन प्रकाश पांडेय को अब "सन्यासी प्रकाशानंद गिरी" नाम से जाना जायेगा।
बृहस्पतिवार को जूना अखाड़ा की तरफ से अल्मोड़ा पहुंचे अखाड़ा के थानापतियों ने उन्हें जिला कारागार में दीक्षा दी। दीक्षा देने के साथ ही उन्हें जूना अखाड़े के कई मठों, आश्रमों का उत्तराधिकारी भी घोषित किया गया है. अल्मोड़ा में पत्रकार वार्ता के दौरान श्रीपंचदसनांग जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरी ने बताया कि प्रकाशानंद गिरी ऊर्फ प्रकाश पांडे पीपी को जिला कारागार में दीक्षा दी गई। उन्होंने बताया कि पीपी की तरफ से धार्मिक क्षेत्र में जाने की इच्छा जताई गई थी.
विगत 17 मार्च को PP ने अल्मोड़ा जेल प्रशासन को एक पत्र लिखकर जीवन में किए अपराधों पर पश्चाताप कर संन्यासी बनने की अनुमति मांगी थी। तब काठमांडू के नाथ संप्रदाय के आचार्य दंडीनाथ महाराज ने दावा किया है, उन्होंने दो महीने पहले अल्मोड़ा जेल के अंदर जेल प्रशासन की निगरानी में प्रकाश पांडे को संन्यास की दीक्षा दिलाई, PP को भगवा वस्त्र और कंठा भी पहनाया गया है, दंडीनाथ ने अपने एक्स हेंडल पर भी इसकी जानकारी शेयर की है। नाथ संप्रदाय के आचार्य दंडीनाथ महाराज ने बताया कि 28 मार्च को हर्षण योग युक्त अमृत वेला में डिस्ट्रिक जेल अल्मोड़ा में पीपी की संन्यास दीक्षा संपन्न हुई।
कौन हैं प्रकाश पांडे पीपी- Who is Underworld Don Prakash Pandey PP -
प्रकाश पांडे मूल रूप से नैनीताल जिले के छोटे गांव खनौइया का रहना वाला है. प्रकाश पांडे की मां का इसके बचपन में ही देहांत हो गया था. प्रकाश पांडे का परिवार मूल रूप से खनौइया गांव का था और रानीखेत शहर में आ बसा था. प्रकाश तब छोटा ही था जब उसकी मां का देहांत हो गया प्रकाश पांडे के पिता फौजी थे. और फौज से रिटायर उसके पिता लक्ष्मी दत्त पांडे ने दूसरी शादी कर ली. सौतेली मां ले आने के चलते उसकी अपने पिता से नाराज़गी रहती, जो एक दिन इतनी बढ़ गई कि प्रकाश अपने पिता को छोड़ गांव चला गया और अपने मामा-मामी के साथ रहने लगा.
बचपन की इस उठापटक ने प्रकाश पांडे को विद्रोही स्वभाव का किशोर बना दिया था. चेहरे से शांत दिखने वाले प्रकाश ने पहली मारपीट स्कूल में तब की जब वो आठवीं कक्षा में था. ख़ुद से दो क्लास सीनियर एक छात्र को जब प्रकाश ने पीटा तो उसका नाम पूरे स्कूल में चर्चित हो गया. यहीं से उसने दादागिरी का पहला स्वाद चखा.
इसके बाद प्रकाश पांडे ने बहुत कम उम्र में ही मायानगरी मुंबई का रुख कर लिया था. जरायम की दुनिया में कदम रखने के बाद पीपी ने नैनीताल, अल्मोड़ा, हल्द्वानी और रानीखेत में अवैध शराब और लीसा तस्करी की। अवैध कामों में कमाई बढ़ी तो पीपी का दुस्साहस भी बढ़ता चला गया। मुंबई में रहकर वह डान बनना चाहता था। 90 के दशक में वह मुंबई पहुंच गया, यह वह दौर था, जब देश बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद फैली सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा था।
इस बीच मुंबई में ब्लास्ट हुए, जिसका जिम्मेदार दाउद को बताया गया। जब दाऊद और छोटा राजन बिखर गए थे। इसी बीच प्रकाश पांडे उर्फ पीपी और मुंबई में प्रचलित नाम बंटी पांडे की मुलाकात छोटा राजन से हुई यहीं से उसके डान बनने का सफर शुरू हो गया. देशभर में दर्जनों लोगों की हत्याओं में वह शामिल रहा।
करीब एक दर्जन हत्याकांडों को अंजाम देने के बाद उसने छोटा राजन का साथ छोड़ अपनी ख़ुद की गैंग बना ली. इस वक्त तक वो काफी चर्चित हो चुका था लेकिन उसे राष्ट्रीय मीडिया में सबसे ज़्यादा चर्चा तब मिली जब उसने 2007 में शाहरुख़ खान की फिल्म ओम शांति ओम की बंपर कमाई के बाद रंगदारी के लिए फोन किया. देश के कई राज्यों की पुलिस उसे ढूंढ रही थी लिहाजा तब तक वह देश छोड़कर फरार हो चूका था वर्ष 2010 में पीपी वियतनाम से गिरफ्तार हो गया था। सितारगंज, पौड़ी के बाद प्रकाश पांडे अब अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
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