हल्द्वानी - उत्तराखंड संगीत के रंग में रंगी मैथिली ठाकुर, बताया कहां से मिली प्रेरणा, इस गाने में मुख्यमंत्री भी बजाते रहे ताली
हल्द्वानी - शहर में पांच दिवसीय कुमाऊं द्वार महोत्सव का मंगलवार को भव्य शुभारम्भ हो गया, इस महोत्सव का शुभारम्भ प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दीप प्रज्वलित कर किया, महोत्सव में देश की मशहूर सिंगर मैथिली ठाकुर ने कुमाऊनी, गढ़वाली गीतों पर ऐसा समां बाधा की लोग थिरकने को मजबूर हो गए. वहीं जब मैथिली ने मंच से "बेडु पाको बारमासा, काफल पाको चैता मेरी छैला" गाया तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और सांसद अजय भट्ट सहित वहां मौजूद लोग ताली बजाने के लिए मजबूर हो उठे.
हल्द्वानी में आयोजित कुमाऊं द्वार महोत्सव (Kumaon Dwar Mahotsav) में पार्श्व गायिका मैथिली ठाकुर (Maithili Thakur) ने कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों (Kumaoni Garhwali Songs) के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक गीत गाए. इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मैथिली ठाकुर के गीतों को सुनने के लिए खुद कार्यक्रम स्थल पर काफी देर तक मौजूद रहे.
न्यूज़ टुडे नेटवर्क से खास बातचीत में मैथिली ठाकुर ने बताया की उन्हें उत्तराखंड की लोक संगीत से काफी लगाव है, उत्तराखंड सुवाल पथाई गीत 'सुआ रे सुआ ' की मैथली को कहां से प्रेरणा मिली जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने कहा उन्होंने इंटरनेट मीडिया से देखा और फिर उसे सीखने का प्रयास किया। मैथिली ने कहा देवभूमि के लोगों से मुलाकात कर अच्छा लग रहा है. मैथिली ठाकुर ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति की पहचान पूरे देश दुनिया में जानी जाती है. उन्होंने खुद अपनी आवाज में कुमाऊंनी और गढ़वाली गीत गाए.
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