हल्द्वानी - ITC फॉर्च्यून में दिखाया जा रहा है स्टेज शो, रुला देगी "जिस लाहौर नई देख्या" नाटक की कहानी
हल्द्वानी - बंटवारे की दास्तान आज भी भला कौन भूल सकता है, जिसमें कई किस्से, कहानियां और फिल्में भी बनीं हैं, बंटवारे पर एक नाटक है, जिन लाहौर नी देख्या, वो जन्मेया ही नहीं "जिसने लाहौर नहीं देखा उसका जन्म नहीं हुआ" (Jis Lahore Nai Dekhya O Jamyai Nai) ये कहानी 1947 में स्थापित एक मुस्लिम परिवार की है जो लखनऊ से लाहौर चले जाते हैं। और उन्हें एक दिवंगत हिंदू परिवार द्वारा खाली की गई हवेली दी जाती है। जिसे हल्द्वानी के आईटीसी फॉर्च्यून (Fortune Walkway Mall, Haldwani - Member ITC’s hotel group) में एक प्रसिद्ध थिएटर ग्रुप 'नया थिएटर' के 8 सितंबर शुक्रवार को शाम 7.30 बजे से दिखाया जा रहा है।
केवल 750/- रूपये में आपको प्रवेश निमंत्रण पास द्वारा किया जायेगा, जहाँ आपको पहली बार किसी फाइव स्टार होटल में यह नाटक देखने को मिलेगा, सभी धनराशि सामुदायिक सेवा और शिक्षा के माध्यम से स्वतंत्रता के लिए उपयोग की जाएगी। अगर आप भी इस नाटक को देखना चाहते हैं तो लिमिटेड सीटें बची हैं। जल्दी ही आज 7253000961, 963, 965 इन नबरों पर अपना पास बुक करवा सकते हैं।
ITC फॉर्च्यून होटल हल्द्वानी के मैनेजर महेश चंद्र रजवार ने बताया की हमें पहली बार अपने शहर में एक प्रसिद्ध थिएटर ग्रुप लाकर संस्कृति को बढ़ावा देने का सुनहरा अवसर मिला है। पद्म विभूषण स्वर्गीय हबीब तनवीर साहब द्वारा स्थापित नया थिएटर ने भारत के अग्रणी थिएटर समूह के रूप में दुनिया भर में हमारे देश का प्रतिनिधित्व किया है। लाहौर के मुस्लिम मोहल्ले कूचा जौहरीय में रहने वाली इकलौती हिंदू बुढ़िया, जिसे लोग इज्जत और प्यार से देखते थे, उसको भी हिंसक उत्पातियों का शिकार होना पड़ा। भारत-पाकिस्तान, हिंदू-मुस्लिम, अपना-पराया से होते हुए घृणा और बैर की आग मेरा-तुम्हारा तक आ पहुंची। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय की जद्दोजहद को सात दशक बाद भी मौजूदा पीढ़ी बखूबी महसूस करती है। नया थिएटर की स्थापना 1959 में स्वर्गीय (पद्म विभूषण) हबीब तनवीर द्वारा की गई थी, जिसमें तनवीर के गृह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के दूरदराज के जनजातियों और गांवों के लोक कलाकार शामिल थे।