देहरादून- न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत का इसलिए है उत्तराखंड से खास लगाव, राष्ट्रपति से मिला खास सम्मान

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न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एनएचआरसी यानी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में कार्य करने के लिए 25 अप्रैल 2021 को अधिकृत किया। न्यायमूर्ति पंत का जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 30 अगस्त 1952 को हुआ। अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा उन्होंने यही से पूरी की। जिसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी किया। न्यायमूर्ति पंत ने यूपी 1973 में बार काउंसिल इलाहाबाद में और इलाहाबाद में उच्च न्यायालय में कानून का अभ्यास किया। 1976 फरवरी से नवंबर तक उन्होंने सगौर में इंस्पेक्टर सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टम्स, एमपी और उत्तर प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा, 1973 के माध्यम से उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में प्रवेश किया। उत्तराखंड के नए राज्य के निर्माण के बाद, उन्होंने राज्य के पहले सचिव, कानून और न्याय मंत्री के रूप में उत्तराखंड में कार्य किया। नैनीताल में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने नैनीताल में जिला और सत्र न्यायाधीश का पद भी संभाला था। रामनाथ कोविंद द्वारा दी गई जिम्मेदारी से पूर्व न्यायमूर्ति पंत 22 अप्रैल 2019 से एनएचआरसी के सदस्य एवं इससे पूर्व 13 अगस्त 2014 से 29 अगस्त 2017 तक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे हैं। जून 2004 में वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यााधीश नियुक्त किए गए।