शिक्षा का बाजारीकरण: शिक्षा माफियाओं पर बोले विपक्ष नेता यशपाल आर्य  

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नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही अभिभावकों पर स्कूली शिक्षा का आर्थिक भार बढ़ गया है। विपक्ष के नेता यशपाल आर्य ने सरकार पर शिक्षा माफियाओं के खिलाफ चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि किताबों, यूनिफॉर्म और फीस में बेतहाशा वृद्धि ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है।  


कमीशनखोरी का खेल, शिक्षा विभाग फेल 

नेता यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि निजी स्कूल प्रकाशकों और दुकानदारों के साथ मिलकर अभिभावकों को महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हर दो-तीन साल में किताबों का प्रकाशक बदल दिया जाता है, ताकि छोटे भाई-बहन बड़ों की किताबें न इस्तेमाल कर सकें। यह सब कमीशन के लालच में हो रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।" 

 

सरकारी स्कूलों की बदहाली, निजी स्कूलों का शोषण  

नेता प्रतिपक्ष ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और सुविधाओं के अभाव को इस समस्या का मूल कारण बताया। उन्होंने कहा, "गरीबों के पास कोई विकल्प नहीं बचा। वे कर्ज लेकर भी बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं, जहाँ 'डेवलपमेंट फीस' और 'एक्टिविटी चार्ज' के नाम पर लूट की जा रही है।"  

 

पारदर्शिता एवं न्याय 

 आर्य ने सरकार से मांग की कि वह निजी स्कूलों द्वारा किताबों और वस्तुओं पर थोपी जा रही मनमानी कीमतों की जांच करे। उन्होंने कहा, "शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना होना चाहिए, न कि अभिभावकों को आर्थिक रूप से निचोड़ना। सरकार को इस लूट पर तुरंत अंकुश लगाना चाहिए।"  

सरकार की ओर से अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन शिक्षा अधिकारियों ने जांच का आश्वासन दिया है।

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