भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत: उपलब्धियों से भरा रहा है जीवन, जानिये उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के बारे में
पिता की सरकारी नौकरी और हर साल तबादले के कारण गोविंद बल्लभ पंत (Govind Ballabh Pant) का लालन-पालन उनके नाना बद्रीदत्त जोशी के यहां हुआ। उनके व्यक्तित्व और राजनीतिक विचारों पर उनके नाना का गहरा प्रभाव था। गोविंद बल्लभ पंत 1905 में वे अल्मोड़ा से इलाहाबाद आ गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की और काशीपुर में वकालत शुरू कर दी। इनके बारे में कहा जाता था कि पंत सिर्फ सच्चे केस ही लेते थे और झूठ बोलने पर केस छोड़ देते थे। उन्होंने काकोरी कांड में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और काकोरी मामले में शामिल अन्य क्रांतिकारियों के मुकदमे की पैरवी भी की थी।
उनके निबंध भारतीय दर्शन के प्रतिबिंब है।उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए अपनी लेखनी उठाई।प्रबुद्ध वर्ग के मार्गदर्शक पंत जी ने सभी मंचों से मानवतावादी निष्कर्षों को प्रसारित किया।राष्ट्रीय चेतना के प्रबल समर्थक पंत जी ने गरीबों के दर्द को बांटा और आर्थिक विषमता मिटाने के अथक प्रयास किए।
वर्ष 1937 में पंत जी संयुक्त प्रांत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और 1946 में उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।10 जनवरी, 1955 को उन्होंने भारत के गृह मंत्री का पद संभाला।
सन 1957 में गणतन्त्र दिवस पर महान देशभक्त, कुशल प्रशासक, सफल वक्ता, तर्क के धनी एवं उदारमना पन्त जी को भारत की सर्वोच्च उपाधि 'भारतरत्न' से विभूषित किया गया।
हिन्दी को राजकीय भाषा का दर्जा दिलाने में भी गोविंद वल्लभ पंत जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।सात मार्च, 1961 को गोविंद बल्लभ पंत का निधन हो गया।