देहरादून- ब्रिटिश सेना के इस अधिकारी को टिहरी गढ़वाल के जंगलों और पहाड़ो दी पनह, बाद में बना हर्षिल का राजा

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फ्रेडरिक विल्सन अफगान युद्ध के दौरान 1839 से 42 के दौरान अपनी ब्रिटिश सेना को छोड़कर उत्तराखंड आया। अपनी सेना से छिपने के लिए उसने टिहरी गढ़वाल के जंगलों और पहाड़ो का सहारा लिया। विल्सन का जन्म 1817 को हुआ। उत्तराखंड के गंगोत्री के पास हर्सिल गांव में रहकर फ्रेडरिक ‘पहाड़ी’ विल्सन ने इस क्षेत्र का चेहरा हमेशा के लिए बदल दिया। हर्षिल, गंगोत्री में रहकर गढ़वाली लोगों के जीवन, उनके संघर्ष, उनकी संस्कृति को भी साझा किया। उसने यहां रहकर लकड़ी व अन्य पहाड़ी वस्तुओं का व्यापार किया और धीरे-धीरे विल्सन हर्षिल गांव का राजा कहे जाने लगा... कहते हैं कि हर्षिल के इलाके में सेब का बीज भी फ्रेडरिक विल्सन ही लाया। हर्सिल गांव वही जगह है जहां राजकपूर की 'राम तेरी गंगा मैली' फिल्म की शूटिंग भी हुई थी। 1882 में इस ब्रिटिश उत्तराखंडी राजा की मृत्यु होगई।