देहरादून- इस विदेशी महिला के उत्तराखंड की महिलाओं के लिए किये कई कार्य, इसलिए लोग कहते थे "सरला बहन"

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कैथरीन मेरी हैलीमन एक विदेशी महिला थी जिन्हें भारतियों से बेहद लगाव था। अपना पूरा जीवन उन्होंने पर्वतीय महिलाओं के उत्थार के लिए समर्पण किया। उन्हें यहा सरला बहन के नाम से भी जाना जाता है। कैथरीन का जन्म 1901 को लंदंन में हुआ। बचपन से ही उनका झुकाव समाज सेवा की ओर रहा। 1930 में लंदन में पहली बार उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, और उनसे प्रभावित होकर वे उनकी शिष्या बन गई। 1932 में वह भारत आई और उदयपुर शिक्षण संस्थान में अध्यापन का कार्य किया। सिंतबर 1941 में महात्मा गांघी की इजाजत के बाद वह अल्मोड़ा के चनौन्दा गांधी आश्रम पहुंची। यहां उन्होंने महिलाओं को कई कार्य सिखायें। 2 सिंतबर 1942 को गांधी आश्रम के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किये जाने पर सरला बहन ने स्वयं खादी वस्त्रों में उस वक्त के कुमाऊं कमिश्नर ऐकटन का कड़ा विरोध किया। हालाकिं इसके बाद 1944 में उन्हें 2 महिने की जेल भी हुई। अल्मोड़ा में राष्ट्रीय चेतना फैलाने में उनकी अहम भूमिका रही। पर्वतीय महिलाओं के उत्थार के लिए 1945 में उन्होंने कस्तूरबा महिला उत्थान मंडल के अधीन बालिकाओं के लिए कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की स्थापना भी की। 1982 में महान समाजसेवी सरला बहन की मृत्यु हो गई।