गोरखपुर के गंगाराम ने जुगाड़ से मशीन बनाकर किया ये कमाल, देखें पूरी खबर….

गोरखपुर। हमारे देश में जुगाड़ से ऐसे आविष्कार होते रहते हैं जो बड़े काम आते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सामने आया है। कोरोना संकट काल में जब लॉकडाउन लगा तो रामजानकी नगर के रहने वाले गंगाराम को आटा पिसाने के लिए बहुत मुश्किल हुई। लेकिन उन्होंने इस समस्या
 | 
गोरखपुर के गंगाराम ने जुगाड़ से मशीन बनाकर किया ये कमाल, देखें पूरी खबर….

 

गोरखपुर। हमारे देश में जुगाड़ से ऐसे आविष्कार होते रहते हैं जो बड़े काम आते हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सामने आया है। कोरोना संकट काल में जब लॉकडाउन लगा तो रामजानकी नगर के रहने वाले गंगाराम को आटा पिसाने के लिए बहुत मुश्किल हुई। लेकिन उन्होंने इस समस्या का स्थाई हल एक देसी जुगाड़ से कर डाला। इस काम में उनकी मदद एक कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले टीचर गोपाल विश्वकर्मा और पॉलिटेक्निक के बच्‍चों को ड्राइंग पढ़ाने वाले अरुण कुमार सिंह ने की। गंगाराम ने आटा चक्की बनाई है। जिसमें गेहूं से लेकर अन्य मोटे अनाज की पिसाई की जा सकती है। यह आटा चक्की एक साइकिल से जुड़ी है। तो साइकिल चलाते रहिए, अनाज की पिसाई होती रहेगी और आप सेहतमंद भी रहेंगे।

गंगाराम को मिलने लगे आटा चक्की के ऑर्डर

बी. कॉम पास गंगाराम ने इस जुगाड़ की आटा चक्की को दो महीने के अथक परिश्रम के बाद तैयार किया है। इसे तैयार करने में 10 हजार रुपए की लागत लगी है। एक घंटे में आठ किलो अनाज की पिसाई की जा सकती है। इससे पुरुष और महिलाओं के साथ युवा और बच्चे भी आसानी से चला सकते हैं। गंगाराम बताते हैं कि ऊपर के भाग में अनाज डाला जाएगा, जो एक पाइप के सहारे नीचे चक्की के पाटे में आएगा और वो पिसकर नीचे लगे डिब्बे में आटे के रूप में एकत्र हो जाएगा।गेहूं, चावल और दूसरे मोटे अनाजों को पीसकर पौष्टिक रोटियां बनाई जा सकती है। जुगाड़ तकनीक के जरिए साइकिल के पैडल से जोड़कर बने इस आटा चक्की को देखने के लिए काफी लोग पहुंच रहे हैं और गंगाराम के इस अनूठे यंत्र को अपने लिए बनाने के लिए आर्डर भी दे रहे हैं।

मिल चुका है राज्य वैज्ञानिक का पुरस्कार

गंगाराम पहले रिक्शा कंपनी चलाने का काम करते रहे हैं। इसी दौरान उन्‍हें इनोवेशन करने का ख्याल आया। साल 2012 में उन्‍होंने साइकिल के पहिए में बेयरिंग लगाने के बाद करियर को बड़ा कर साइकिल में नवाचार किया और यूनीक साइकिल बनाई। इससे साइकिल को खीचने में लगने वाली ताकत भी कम हो गई। इसके साथ ही वजन भी दो कुंतल के लगभग उठाने की क्षमता पैदा हो गई। इसके लिए उन्‍हें साल 2014-15 के लिए साल 25 अक्टूबर 2018 को लखनऊ में प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्‍य वैज्ञानिक सम्‍मान से पुरस्कृत किया था।

आसानी से कहीं भी ले जा सकता है

पॉलीटेक्निक कॉलेज में पढ़ाने वाले अरुण कुमार सिंह इस मशीन का डिजाइन तैयार किया है। वे कहते हैं कि महिलाओं और पुरुषों के लिए व्यायाम का ये अच्‍छा माध्यम है। इसे बच्चे भी चला सकते हैं। वहीं, केआईपीएम कालेज के मैकेनिकल विभाग में कार्यरत गोपाल विश्वकर्मा ने इस यंत्र का साइज और बैलेंसिंग के साथ माप-तौल का खाका तैयार किया है। इसे पैडल से चलाया जाता है। इसका वजन एक कुंतल के आसपास है। इसकी पिसाई से बनने वाली रोटी मीठी होती है। आटा जलता नहीं है। गरम भी नहीं होता है। इसका आटा भी फाइबर युक्त होता है। उन्‍होंने बताया कि इसमें पहिए लगाने के बाद इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है।