पेरेंट्स फोरम ने स्कूल एसोसिएशन पर किया मुकदमा, कहा सेवा नहीं तो शुल्क नहीं, जानिए पूरा मामला
बरेली: इन दिनों स्कूल एसोसिएशन (School Association) और अभिभावकों के बीच स्कूल फीस को लेकर खींचातानी मची हुई है। अभिभावकों के हक के लिए लड़ रहे पेरेंट्स फोरम (Parents Forum) ने इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन पर उपभोक्ता आयोग (Consumer Commission) में याचिका दर्ज की है। पेरेंट्स फोरम ने नए उपभोक्ता अधिकार कानून को आधार मानते हुए ‘सेवा नहीं तो शुल्क नहीं’ के सिद्धांत पर राहत देने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश में इस तरह का यह पहला केस बताया जा रहा है। याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होने के बाद आयोग ने 13 अक्टूबर की तारीख तय की है। पेरेंट्स फोरम के संयोजक खालिद जिलानी ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में याचिका दर्ज की है। इस याचिका में इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन (Independent School Association) के अध्यक्ष पारुष अरोड़ा को मुख्य परिवादी बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन से जुड़े स्कूल अप्रैल से अभी तक बंद चल रहे हैं। इनमें आंशिक रूप से ही ऑनलाइन कक्षाओं (Online Classes) का संचालन हो रहा है। अभिभावकों पर बिना सेवा दिए और स्कूल बंद होने के बावजूद पूरी फीस (Fees) जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है, जोकि गलत है। साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई होने के कारण अभिभावकों को अतिरिक्त खर्च भी झेलना पड़ रहा है। खालिद जिलानी का कहना है कि स्कूल उपभोक्ताओं को ऑनलाइन शिक्षा उपलब्ध कराने में विफल साबित हुए हैं। इस शिक्षा की न ही कोई गुणवत्ता है और न ही वे विद्यार्थियों को समझाने में सक्षम है।
याचिका में कहा गया है कि स्कूल अक्सर इंटरनेट (Internet) न होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा बंद रहने के मैसेज भेजते हैं जोकि सेवा की विफलता और सेवा में कमी है। जब सेवा ही सही नहीं है तो शुल्क किस बात का दिया जाए। स्कूलों ने 20 सितंबर तक फीस न जमा होने पर विद्यार्थियों के नाम स्कूल से काटने की चेतावनी भी दी है, जो शासन के आदेश के खिलाफ है।
इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष पारुष अरोड़ा का कहना है कि हमने अभिभावकों को फीस जमा करने की लगातार अवसर दिए हैं। अभी हम कोई दबाव नहीं बना रहे हैं। हमारा सिर्फ इतना ही कहना है कि अभिभावक स्कूल में आकर अपनी बात रखें, इससे हमें यह पता चलेगा कि कौन सा छात्र हमारे यहां पढ़ाई कर रहा है। साथ ही फीस लेने के संबंध में जो भी शासनादेश जारी हुए हैं, उसका पालन किया जा रहा है।