सावन 2021: आज से उत्तराखंड में श्रावण मास शुरू, जानिए इसकी पूजा विधि और महत्व

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Sawan Month 2021: महादेव का प्रिय सावन का महीना आज (शुक्रवार) संक्रांति से शुरू हो गया है। इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे। छह अगस्त को प्रदोष व्रत रहेगा। वहीं 13 अगस्त नाग पंचमी आएगी। हिंदू मान्यता के अनुसार, सभी सोमवार को सावन 2021 के दौरान अत्यधिक शुभ माना जाता है, जिसे सावन सोमवार व्रत 2021 या श्रवण सोमवार के रूप में जाना जाता है, जबकि इस महीने के सभी मंगलवार देवी पार्वती को समर्पित हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन भगवान शंकर का महीना माना जाता है। शिव का अर्थ कल्याण है। कहा जाता है कि कण-कण में भगवान शिव का वास है।सावन का महीना 16 जुलाई शुक्रवार से शुरू हो गया है। सावन में सोमवार को भगवान शिव की पूजा फलदायी मानी जाती है। इस बार सावन में कुल चार सोमवार आएंगे। छह अगस्त को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। 13 अगस्त को आ रही नाग पंचमी का फल भी शुभदायक है। विद्वत सभा के पूर्व अध्यक्ष पं. उदय शंकर भट्ट ने बताया कि सावन में भगवान शिव का अभिषेक करना अत्यंत फलकारी होता है। शुक्रवार काे शिव मंदिरों में बेहर सिमित संख्या में भक्त पूजन-अभिषेक के लिए पहुंचे।

सावन माह की पूजा विधि 

- सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और भगवान शिव का ध्यान करें।
- शिव मंदिर या घर के देवालय में भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
- भगवान शिव का जल, दूध, दही से पंचामृत रुद्राभिषेक करें। साथ ही माता पार्वती और नंदी बाबा को गंगाजल या दूध चढ़ाएं।
- भोले शंकर के मंत्रों का उच्चारण करते हुए उन्हें 108 बेलपत्र अर्पित करें।
- शिवलिंग पर धतूरा, भांग, गुड़, दूध से बनी मिठाईयां आदि अर्पित करें।
- प्रसाद के रूप में भगवान शिव का घी शक्कर का भोग लगाएं।
- भगवान भोलेनाथ से गणेशजी की धूप दीप आरती करें फिर भगवान शंकर की आरती उतारें।
- पूजन के बाद सावन सोमवार व्रत कथा भी सुनें।

सावन का महत्व
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन माह प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया था कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।