विश्व जनसंख्या दिवस: जनसंख्या के मुद्दे पर ध्यान दें और बेहतर घर बनाएं


इस तरह 11 जुलाई 1990 पहला विश्व जनसंख्या दिवस बना। 31 अक्टूबर, 2011 को दुनिया की आबादी 7 अरब तक पहुंच गई और 2030 तक 8.6 अरब और 2050 तक 9.8 अरब तक पहुंचने का अनुमान भी लगाया गया। दुनिया की आबादी की ट्रेन लगातार तेज गति से आगे बढ़ रही है। जनसंख्या का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का अधिक से अधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार वैश्विक जनसंख्या की तीव्र वृद्धि का मुख्य कारण प्रजनन आयु तक जीवित रहने वाले लोगों की बढ़ती संख्या है। साथ ही, घटती प्रजनन दर, शहरीकरण और जनसंख्या प्रवासन भी विश्व जनसंख्या के परिवर्तन को प्रभावित करते हैं। ये परिवर्तन न केवल आर्थिक विकास, रोजगार, आय वितरण, गरीबी और सामाजिक गारंटी से जुड़े हैं, बल्कि लोगों के चिकित्सा, शिक्षा, आवास, स्वास्थ्य, पानी, भोजन और ऊर्जा पाने के तरीकों से भी जुड़े हैं।

सीमित पृथ्वी संसाधनों और तेजी से गंभीर हो रही पर्यावरण और जलवायु की समस्याओं के सामने जनसंख्या बढ़ रही है और मानव की औसत आयु लंबी हो रही है। हालांकि इसका मतलब है कि समग्र रूप से मनुष्य का विकास जारी रहेगा, संसाधन आवंटन, कल्याण, रोजगार और आर्थिक विकास जैसे समस्याओं पर भी प्रकाश डाला गया और बड़ी आबादी वाले कई देशों की सरकार इन समस्याओं पर ध्यान देने लगी।
बढ़ती जनसंख्या पृथ्वी पर भारी बोझ डाल रही है। पिछले हजारों वर्षों में, मनुष्य पृथ्वी के गैर-नवीकरणीय संसाधनों के बचत खाते से निकालता रहा है, संसाधनों का उपभोग और उन्हें प्रदूषित भी करता रहा है, जिनमें जलभृत, उपजाऊ भूमि, जंगलों, मत्स्य पालन और महासागर आदि संसाधन शामिल हैं।
हालांकि अभी हम इंसानों के भविष्य की सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं, लेकिन इतना तो तय है कि इस ग्रह पर रहने वाले एक सदस्य के रूप में हर किसी को पृथ्वी के संसाधनों को बचाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
--आईएएनएस
आरएचए/