पिलर गिरने से मौत के मामले में बीएमआरसीएल ने साधी चुप्पी, उठ रहे सवाल
बीएमआरसीएल के एमडी ने 10 दिसंबर को घटनास्थल का दौरा करने के बाद रिपोर्ट मिलने के तीन दिन के भीतर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था। तकनीकी चूक का पता लगाने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), आरआईटीईएस और बीएमआरसीएल की आंतरिक समिति की एक टीम ने जांच शुरू की है।
हालांकि, बीएमआरसीएल समिति के निष्कर्षों के बारे में चुप्पी साधे हुए है।
बीएमआरसीएल ने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर रखे गए तीन इंजीनियरों को निलंबित कर दिया था और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी को दो नोटिस भेजे थे। आरोप है कि कार्रवाई वहीं रुक गई है।
हालांकि, लोहे के खंभे के गिरने के तकनीकी कारण और कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का दोषी पाए जाने पर सुनिश्चित करने के लिए कदमों पर कोई अपडेट नहीं है। यह भी आरोप है कि बीएमआरसीएल कथित तौर पर इस मुद्दे पर जानबूझकर चुप्पी साधे हुए है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बीएमआरसीएल वरिष्ठ अधिकारियों और स्थायी कर्मचारियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
मेट्रो कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष सत्यनारायण मूर्ति ने आरोप लगाया कि इस घटना के लिए ठेकेदारों के साथ-साथ बीएमआरसीएल के एमडी और सीईओ जिम्मेदार हैं। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि बिना तकनीकी ज्ञान के अधिकारियों की मौजूदगी के कारण ऐसी घटना हुई है। दोषी अधिकारियों पर पर्दा डालने और उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
अपने पति के साथ बाइक पर मेट्रो निर्माण स्थल से गुजरते समय लोहे के खंभे गिरने से महिला और उसके बेटे की मौत हो गई थी। मृतकों की पहचान 25 वर्षीय तेजस्विनी और ढाई साल के बेटे विहान के रूप में हुई है।
हादसे के लिए बीएमआरसीएल को जिम्मेदार ठहराते हुए मृतक के परिजनों ने इस संबंध में ठेकेदार और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी (एनसीसी) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी जांच के लिए मामले को अपने हाथ में लिया है।
--आईएएनएस
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