डीडीए के अभियान से बेघर हुए पीड़ितों को तुरंत न्याय और मुआवजा मिलना चाहिए: अनिल कुमार
आगे अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की दिल्ली सरकार के वकील क्या पहले दिन ही डीडीए की तोड़फोड़ की कार्यवाही के खिलाफ हाई कोर्ट नहीं जा सकते थे, क्योंकि तोड़फोड़ करने की जानकारी मुख्यमंत्री को पहले से थी। आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेता महरौली में चले बुलडोजर से बेघर हुए लोगों की बेबस स्थिति पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। जबकि इसके लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनो बराबर की जिम्मेदार है।
अनिल कुमार ने कहा कि क्या यह संभव है कि महरौली की रजिस्ट्री जमीन पर बने मकानों की जानकारी डीडीए के पास नही होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा गलत डिमार्केशन के कारण रजिस्ट्री वाली जमीन पर तोड़फोड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। क्योंकि डिमार्केशन व रजिस्ट्री दोनो दिल्ली सरकार के अंतर्गत आते हैं और डीडीए उपराज्यपाल के आधीनस्थ है। सरकारी विभागों की गलती का भुगतान जनता क्यों भुगते। बेघर हुए लोगों के प्रति संवेदनशील व्यवहार अपनाते हुए डीडीए तुरंत उनके मकानों को बनाने के लिए मुआवजा दें।
अनिल कुमार ने कहा कि कोर्ट के आदेश अनुसार नए सिरे से डिमार्केशन का काम पूरा किया जाए और जब तक यह काम पूरा न हो तोड़फोड़ की कार्यवाही पर रोक लगी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि स्थानीय लोगों को एक घंटे के नोटिस पर वहां बुलडोजर चला दिया गया जबकि लोग कुछ मोहलत मांग रहे थे। उन्होंने कहा कि लगभग 30-40 सालां से जिन मकानों में लोग रह रहे हैं। उनकी पक्की रजिस्ट्री है, बैंको ने लोन दिया है।
अंत में अनिल कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा महरौली में तोड़फोड़ पर रोकने के आदेश के बाद भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता महरौली में तोड़फोड़ रुकवाने का श्रेय लेने के लिए उपराज्यपाल से मिलने व जनता के प्रति झूठी सहानूभूति जता रहे हैं, जबकि सच्चाई तोड़फोड़ से प्रभावित लोग अच्छी तरह जानते हैं।
--आईएएनएस
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