अंतरराष्ट्रीय स्तर के पैरा तैराक, बिखेर रहे सामान्य खिलाड़ियों की रोइंग में जलवा

गोरखपुर, 27 मई(आईएएनएस)। यूपी के गोरखपुर में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता में असम से आए अन्यतम राजकुमार सबसे सलामी पाने के हकदार बन रहे हैं। रोइंग के इस राजकुमार की दास्तां वाकई सबको प्रेरित करने वाली है। कारण, अन्यतम खिलाड़ियों के इस महाकुंभ में शारीरिक रूप से विशेष (स्पेशल चाइल्ड) होने के बावजूद जोश से लबरेज होकर सामान्य श्रेणी की दोनों रोइंग स्पधार्ओं (2000 मीटर व 500 मीटर) में टक्कर देने आए हैं।
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गोरखपुर, 27 मई(आईएएनएस)। यूपी के गोरखपुर में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स रोइंग प्रतियोगिता में असम से आए अन्यतम राजकुमार सबसे सलामी पाने के हकदार बन रहे हैं। रोइंग के इस राजकुमार की दास्तां वाकई सबको प्रेरित करने वाली है। कारण, अन्यतम खिलाड़ियों के इस महाकुंभ में शारीरिक रूप से विशेष (स्पेशल चाइल्ड) होने के बावजूद जोश से लबरेज होकर सामान्य श्रेणी की दोनों रोइंग स्पधार्ओं (2000 मीटर व 500 मीटर) में टक्कर देने आए हैं।

अन्यतम राजकुमार दिव्यांगता की मानसिक मंदित (मेंटली रिटायर्ड) श्रेणी में आते हैं। मस्तिष्क का सामान्य विकास न हो पाने के साथ उन्हें बोलने में भी कुछ परेशानी आती है। वर्तमान में वह असम की कॉटन यूनिवर्सिटी में बीए पांचवें सेमेस्टर के छात्र हैं। अन्यतम की प्रतिभा को विशेषतम कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। रोइंग का यह राजकुमार तैराकी की अंतरराष्ट्रीय पैरालम्पिक स्पधार्ओं का भी राजा है। उनके साथ आए पिता द्विपेन राजकुमार ने बताया कि मानसिक रूप से कमजोर होने के साथ शारिरिक रूप से भी काफी कमजोर थे। शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए छह साल की उम्र में उन्हें तैराकी सिखाने के लिए जब पानी में उतारा गया तब उनकी क्षमता परिवार को समझ में आई। द्विपेन के मुताबिक अन्यतम एक माह से भी कम समय में तैराकी में पारंगत हो गए। फिर क्या था पिता ने स्कूलिंग के समानांतर बेटे को तैराकी के क्षेत्र में भी आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीतने के साथ अन्यतम 2015 में लॉस एंजिलिस में आयोजित वल्र्ड समर गेम (स्पेशल ओलंपिक) में प्रतिभाग कर भारत के लिए पैरालम्पिक तैराकी का पहला स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।

तैराकी के साथ अन्यतम राजकुमार का रुझान रोइंग के क्षेत्र में 2016 से हुआ। 50 प्रतिशत बौद्धिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद बहुत कम समय में उन्होंने राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेना प्रारंभ कर दिया। गत वर्ष ऑस्ट्रेलिया में आयोजित एशिया-प्रशांत स्पेशल गेम्स (मूक बधिर) में प्रतिभाग करते हुए अन्यतम ने 500 मीटर सिंगल स्कल रोइंग में गोल्ड मेडल, 2000 मीटर सिंगल स्कल में ब्रॉन्ज और इसी दूरी की मिक्स्ड डबल में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया। हमेशा सामान्य नाविकों के साथ अभ्यास करने वाले रोवर अन्यतम राजकुमार पुणे में आयोजित नेशनल रोइंग प्रतियोगिता और चंडीगढ़ में आयोजित विश्वविद्यालयीय प्रतियोगिता में टॉप 8 के स्थान बनाकर खेलो इंडिया के लिए क्वालीफाई किया। वह रोइंग प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देश के पहले स्पेशल चाइल्ड हैं। इसके लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है।

अन्यतम राजकुमार के पिता द्विपेन का मानना है कि खेलो इंडिया अन्यतम की प्रतिभा को तराशने का शानदार मंच बन रही है। इस मंच के उपयोग से अन्यतम की रोइंग प्रतिभा को नई वैश्विक पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि यहां रोइंग में प्रतिभाग करने वाले असम से अन्यतम एकमात्र खिलाड़ी हैं। द्विपेन गोरखपुर में हुए स्वागत, देखभाल और प्रतियोगिता के इंतजामों से काफी खुश हैं। उनका कहना है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में मिले सम्मान को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।

--आईएएनएस

विकेटी/एएनएम

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