Paris Olympics 2024 - कभी गुरु- शिष्या के बीच हो गया था विवाद, उत्तराखंड के कोच जसपाल राणा ने अब मनु को दिलवाया मेडल 
 

22 साल की मनु भाकर ने ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर रचा इतिहास, उत्तराखंड के गोल्डन बॉय जसपाल राणा की मेहनत लायी रंग
 
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Manu Bhaker Olympics Bronze Medal 2024-  एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक (Bronze Medal) जीतकर देश को गौरवान्वित करने और हरियाणा के झज्जर की रहने वालीं मनु भाकर का उत्तराखंड से भी कनेक्शन है. उन्होंने राजधानी दून में ही निशानेबाजी के गुर सीखे हैं. उत्तराखंड के गोल्डन बॉय नाम से प्रसिद्ध जसपाल राणा (Jaspal Rana Uttarakhand, coach of manu Bhakar) ने उन्हें प्रशिक्षण दिया है. पेरिस ओलंपिक-2024 के दूसरे दिन 10 मीटर में मनु ने एयर पिस्टल स्पर्धा में 221.7 स्कोर के साथ तीसरा स्थान हासिल किया.  शूटिंग में भारत को ओलंपिक पदक दिलाने वाली पहली महिला एथलीट बन इतिहास रचने वालीं मनु प्रशिक्षण के लिए अक्सर दून आती थीं। गोल्डन बॉय जसपाल राणा मनु के व्यक्तिगत कोच हैं. ओलंपिक शुरू होने से पहले करीब डेढ़ महीने तक दून के पौंधा स्थित जसपाल राणा निशानेबाजी संस्थान में बनी शूटिंग रेेंज में मनु को ट्रेनिंग दी थी. 

 

 

तोक्यो ओलम्पिक से ठीक पहले दोनों के बीच हुआ विवाद - 
पर क्या आप जानते हैं साल 2020 में तोक्यो ओलम्पिक शुरू होने से ठीक पहले पिस्टल शूटिंग कोच जसपाल राणा और शूटर मनु भाकर के बीच विवाद हो गया। तोक्यो ओलिंपिक भारत को उस ओलिंपिक में शूटिंग में एक भी मेडल नहीं मिला। मनु और बाकी भारतीय निशानेबाजों की खराब परफॉर्मेंस के बाद सबकुछ सामने आ गया। राणा को तो फेडरेशन ने टीम में दरार पैदा करने का भी दोषी ठहराया था। लेकिन मनु को समझ आ गया कि राणा को छोड़ना गलती थी और वो पेरिस ओलिंपिक की तैयारी के लिए उनके पास वापस गईं। दरअसल, साल 2020 में हुए टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाइंग इवेंट के दौरान मनु की पिस्टल अटक गई थी और इसी कारण उनका प्रदर्शन भी प्रभावित हुआ था. नतीजन तब भारत को निशानेबाजी में मायूस होना पड़ा था और मनु खाली हाथ भारत लौटी थी. 
 


कौन है निशानेबाजी के कोच जसपाल राणा - Who is shooting coach Jaspal Rana?
जसपाल राणा एक प्रमुख भारतीय निशानेबाज़ हैं जिन्हें 2002 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जसपाल राणा उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से हैं। जसपाल राणा, जो उत्तराखंड के बेहतरीन निशानेबाजों में से एक हैं, को उनके पिता नारायण सिंह राणा ने बीएसएफ अधिकारी द्वारा प्रशिक्षित किया था। 12 वर्षीय राणा ने अहमदाबाद में 31 वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में राष्ट्रीय पदार्पण किया, तो किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि 12 साल का लड़का रजत पदक छीन लेगा। वर्ष 1994 में 46 वीं विश्व शूटिंग चैम्पियनशिप (जूनियर सेक्शन) में, राणा ने स्टैंडर्ड पिस्टल शूटिंग के लिए स्वर्ण पदक जीता जो उनकी यात्रा में एक और बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ। राणा ने शूटिंग के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों क्षेत्रों में 600 से अधिक पदक अर्जित किए हैं। शूटिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जसपाल राणा को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

अपने कोच जसपाल राणा के साथ मनु भाकर - 

 

मनु के मेडल पर बोले जसपाल राणा - 
मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है. मनु के मेडल जीतने के बाद जसपाल ने विवादों के बारे में ज्यादा नहीं बोला, बस कहा, 'हां, कुछ छोटी-छोटी समस्याएं थीं। कुछ लोगों की वजह से ये बड़ी हो गईं। लेकिन मनु और मैंने मिलकर इन मुश्किलों को पार किया। मनु ने बहुत मेहनत की है। अगर कोई मुझे ट्रेनिंग में 100% देगा तो मैं 200% दूंगा। वरना मेरा मन नहीं लगता। मनु ने बहुत मेहनत की है और वो जो पा रही है वो उसके हकदार हैं. 

जो लोग पहले से ही कोच और खिलाड़ी की जोड़ी पर सवाल उठा रहे थे, उन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे देश में बहुत सारे गुरुजी हैं, एक्सपर्ट हैं जो भविष्यवाणी करेंगे, लोगों को नीचा दिखाएंगे और क्रेडिट भी लेने की कोशिश करेंगे। मनु का मेडल उनकी नकारात्मकता का जवाब है। इससे मनु मानसिक रूप से मजबूत हुई। मुझे उस पर बहुत गर्व है. 
 

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