नई दिल्ली- वेश्यावृत्ति पर भारी पड़ा कोरोना, जीबी रोड पर ऐसे हो गई सेक्स वर्करों के हाल

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नई दिल्ली-दो जून को हर साल में अंतर्राष्ट्रीय वेश्यावृत्ति अधिकार दिवस या इंटरनेशनल सेक्स वर्कर्स डे मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य यौनकर्मियों के अधिकारों के बारे में जागरुकता फैलाना है। जिससे कि वे भी सम्मान की जिंदगी बसर कर सकें, लेकिन ऐसा असल में होता बहुत कम है। अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैले जीबी रोड की गिनती भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में होती है। कई गैर-लाभकारी संगठनों के माध्यम से पता चलता है कि लड़कियों को देश के अलग-अलग कोनों से लेकर लाया जाता है

 जीबी रोड पर 4000 सेक्स वर्कर

आज पूरी  दुनिया में फैली करोना वायरस महामारी का दंश झेल रही है। इसका सेक्स वर्कर्स पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।शारीरिक दूरी ने उनका जीवन मुश्किल कर दिया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अजमेरी गेट से लाहौरी गेट तक एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक फैले जीबी रोड स्थित रेड लाइट एरिया इन दिनों वीरान नजर आ रहा है। जहां दुकानों के ऊपर स्थित जर्जर भवनों या कोठों में करीब 4000 सेक्स वर्कर काम करती हैं, मगर राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान इनमें से फिलहाल 25 से 30 प्रतिशत महिलाएं ही बची हुई हैं। अब भले ही लॉकडाउन खुलने लगा हो लेकिन इन सेक्स वर्करों का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है।

सामाजिक दूरी ने किये ग्राहक कम

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की माने तो भारत में लगभग 637500 यौनकर्मी हैं और पांच लाख से अधिक ग्राहक दैनिक आधार पर रेड-लाइट क्षेत्रों में आते है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते इनका भविष्य अंधकार में है, संक्रमण फैलने की दर अधिक हो सकती है, क्योंकि यौन क्रिया या संभोग के दौरान सामाजिक दूरी संभव नहीं है। संक्रमित ग्राहक लाखों अन्य नागरिकों को यह बीमारी फैला सकते हैं।

रेड लाइट एरिया बंद होने पर कोरोना में कमी 

येल स्कूल ऑफ मेडिसिन और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शिक्षाविदों एवं शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया कि भारत में अगर राष्ट्रव्यापी बंद खत्म भी हो जाता है तो यहां रेड-लाइट एरिया को बंद ही रखा जाना चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसा किया गया तो भारत में कोरोना वायरस के मामलों के चरम पर पहुंचने में 17 दिनों की देरी लाई जा सकती है। अनुमानित नए मामलों में 72 फीसदी की कमी लाई जा सकती है। मॉडलिंग द इफैक्ट ऑफ  कॉन्टिन्यूड क्लोजर ऑफ  रेड-लाइट एरियाज ऑन कोविड-19 ट्रांसमिशन इन इंडिया नाम के अध्ययन में पाया गया है कि अगर राष्ट्रव्यापी बंद के बाद तक रेड लाइट एरिया को बंद रखा जाता है तो भारतीयों को कोरोनावायरस होने का बहुत कम जोखिम है।