नवरात्र: जिनके तेज से सारा संसार प्रकाशमान हो रहा है आज उन माता महागौरी के पूजन से होगी अभय वरदान की प्राप्ति

आज आठवें नवरात्र माता महागौरी की ऐसे करें पूजा आराधना, ये है पूजन विधि और मंत्र

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। नवरात्र के आठवें दिन आज मंगलवार को माता महागौरी का पूजन अर्चन किया जाएगा। नवरात्र व्रत पालन करने वाले जातक आज मंगलवार को नवरात्र के अष्‍टम दिवस पर माता महागौरी का ध्‍यान पूजन करें। माता महागौरी आठवीं शक्ति स्‍वरूपा हैं महागौरी को आदिशक्ति के रूप में सुशोभित माना गया है।

विक्रम संवत 2078 अष्टम दिवस  मंगलवार वासंतिक नवरात्र का अष्टम दिवस है। यह माता महागौरी के लिए समर्पित होता है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में महागौरी आठवीं शक्ति स्वरूपा हैं। महागौरी आदि शक्ति मानी गई हैं पुराणों के अनुसार इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है। दुर्गा सप्तशती में उल्लेखित है कि शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्या प्रदायनी, चैतन्य  स्वरूपा ,भी कहा जाता है।

पौराणिक कथाओं  के अनुसार  8 वर्ष की आयु में माता ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। मात्र 8 वर्ष की आयु में घोर तपस्या के कारण इनकी पूजा नवरात्र के आठवें दिन की जाती है। एक अन्य कथा अनुसार भगवान शिव को  पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी। इससे इनका शरीर काला पड़ गया था तब देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां के शरीर पर गंगाजल डाला था। तब मां अत्यंत कांतिमयी गौर वर्ण हो गईं थीं तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा। बाद में मां के प्रभाव से माता कौशिकी का प्रकटीकरण हुआ शुंभ और निशुंभ का वध करने के लिए मां का देवी कौशिकी के रूप में अवतरित होना आवश्यक था। माता महागौरी को सेवा के नाम से भी जाना जाता है। मां की सवारी सिंह एवं वृषभ दोनों ही हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं, इनकी दाई भुजा अभय मुद्रा में है। नीचे वाली भुजा में त्रिशूल है, बांयीं भुजा में डमरू तो नीचे वाली भुजा से मां भक्तों को वरदान देने की मुद्रा में हैं।

जो स्त्री मां की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं माता रानी उसके सुहाग की रक्षा स्वयं करती हैं। यदि कुंवारी लड़की मां की पूजा करें तो उसे योग्य वर की प्राप्ति होती है। जो पुरुष देवी गौरी की पूजा करते हैं  उनका जीवन सुखमय रहता है एवं पापों का नाश होता है।

आराधना समय

मंगलवार प्रातः से रात्रि 12:43 तक माता के लिए जाप ध्यान एवं पूजन सर्वोत्तम रहेगा। विशेष महत्व इस दिन  महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। माता महागौरी की पूजा करते समय यदि संभव हो गुलाबी रंग के कपड़े पहनें क्योंकि मां  गृहस्थ आश्रम की देवी हैं और गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है।              

आराधना मंत्र

सर्व मंगल मांगल्‍ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्‍ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।

बीज मंत्र

ॐ दुर्गेश नंदिनी नमः

जाप मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मंगल रूपेण संस्थिता नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नमःl

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