नवरात्र:आज सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी स्कंदमाता की कृपा से मिलेगा मोक्ष का सुलभ द्वार
पूरे विधि विधान से ऐसे करें पूजा ध्यान, ये है बीज मंत्र

न्यूज टुडे नेटवर्क। नवरात्र के पांचवें दिन आज पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना होगी। भक्त पूरे विधि विधान से मां स्कंदमाता के स्वरूप की आज अर्चना करें। सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी स्कंदमाता दुखों को दूर कर मोक्ष का द्वार दिखाने वाली देवी हैं। इनके स्वरूप के दर्शन, व्रत , हवन और पूजन करने से जातक को मोक्ष सिद्धि की प्राप्ति होती है।

आज का दिन मां स्कंदमाता के लिए समर्पित होता है भगवान स्कंद कुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण दुर्गे जी के स्वरूप को स्कंदमाता का नाम प्राप्त हुआ भगवान स्कंद जी बाल रूप में मां की गोदी में बैठे हुए हैं मातृ स्वरूप देवी की चार भुजाएं हैं यह दायिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को होती है उसमें कमल पकड़ा हुआ है मां का वर्णन पूर्णता शुभ है कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्या वाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है इनका वाहन भी सिंह है स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है आज के दिन एकाकार भाव से मन को पवित्र करके मां की स्तुति करने से दुखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है एवं कुंडलिनी जागृत होती हैं। आज माता को प्रसाद रूप में अलसी चढ़ाकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

ये है आराधना समय
17 तारीख की सायं 8:32 तक मां के स्वरूप की ध्यान जाप एवं आराधना करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
आराधना मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंद रूपेण संस्थात।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
बीज मंत्र
ॐ दुर्गे देवि नमःl