नवरात्र: आज षष्‍ठम स्‍वरूप मां कात्‍यायनी वैवाहिक जीवन में देंगी सुख शांति का वरदान

रोग, शोक, संताप से मुक्‍त होने को ऐसे करें पूजा, ये है बीज मंत्र और पूजा विधि

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न्‍यूज टुडे नेटवर्क। नवरात्र के छठवें दिन आज रविवार को नवरात्र व्रत करने वाले जातक माता के षष्‍ठम स्‍वरूप मां कात्‍यायनी का पूजन करें। मां कात्‍यायनी वैवाहिक जीवन में सुख शांति लाने वाली देवी हैं। इनकी कृपा से परिवार में धन धान्‍य की वर्षा होगी और पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। रोग, शोक और संताप से मुक्‍त होने के लिए जातक आज छठवें नवरात्र को पूर्ण विधि विधान से मां कात्‍यायनी का पूजन करें।

विक्रम संवत 2078 छठवां दिवस  माता कात्यायनी को समर्पित होता है। नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के षष्‍ठम स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और भगवान बृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बनाते हैं। यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि यदि सच्चे मन से मां की आराधना की जाए तो वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मां कात्यायनी की उपासना से भक्तों को अपने आप आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं और उसके रोग शोक संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। मान्यता के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदि शक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसलिए इनको  मां कात्यायनी कहा जाता है। मां कात्‍यायनी को ब्रज की  पूज्य देवी माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गोपियों ने श्री कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर मां कात्यानी की ही पूजा की थी। कहते हैं मां कात्यानी ने अत्याचारी राक्षस महिषासुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है इनकी चार भुजाएं हैं। मां कात्यायनी के दाहिनी तरफ का ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है और नीचे वाली भुजा वर मुद्रा में है बाई ओर की ऊपर वाली भुजा में तलवार और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प सुशोभित है। मां कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं। मां कात्यानी को लाल रंग बहुत पसंद है एवं शहद का भोग पाकर बहुत प्रसन्नता को अनुभूत करती हैं।

आराधना समय

रविवार प्रातः4:10 से रात्रि 10:34 तक माता के लिए  जाप पूजन ध्यान सर्वश्रेष्ठ रहेगा/

आराधना मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु  कात्यानी रूपेण संस्थिता/

नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम: ।

बीज मंत्र

ॐ दुर्गे दुर्गतिनाशिनी नमःl