वर्तमान लोक सभा के चार साल में 93.09 प्रतिशत हुआ काम : ओम बिरला
बिरला ने एक के बाद एक सिलसिलेवार कई ट्वीट कर वर्तमान लोक सभा के कामकाज की तुलना पिछली लोक सभाओं के कामकाज से करते हुए कहा कि 14वीं लोक सभा में 82.81 प्रतिशत, 15वीं लोक सभा में 67 प्रतिशत और 16वीं लोक सभा में 88.63 प्रतिशत कामकाज हुआ, जबकि इसकी तुलना में 17वीं लोक सभा के पहले चार वर्षों में आयोजित 11 सत्रों के दौरान सदन में 93.09 प्रतिशत कामकाज हुआ।
उन्होंने कहा कि, सदन जनभावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बने, इसके लिए सभी सदस्यों को अपना मत प्रस्तुत करने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाने के प्रयास किए गए। विधेयकों पर चर्चा हो अथवा शून्य काल, पहले की तुलना में अधिक सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।
बिरला ने सदन में कामकाज की जानकारी देते हुए आगे कहा कि, विगत चार वर्षों के दौरान सदस्यों के सक्रिय प्रयासों और सरकार के सहयोग से हम कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने में सफल रहे। नियम 377 के तहत सरकार से प्राप्त जवाबों में वृद्धि हुई। प्रश्नकाल के दौरान भी अधिक प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। विधायी कामकाज की ²ष्टि से भी 17वीं लोक सभा के पहले चार वर्ष उल्लेखनीय रहे। विगत 11 सत्रों में कुल 162 विधेयक पुर:स्थापित तथा 169 विधेयक पारित किए गए।
लोक सभा अध्यक्ष ने शून्यकाल के दौरान चर्चा के आंकड़ों को सामने रखते हुए कहा कि 14वीं लोक सभा में शून्यकाल के दौरान 2,628 विषयों पर चर्चा हुई थी, 15वीं लोक सभा में 2,608 विषयों पर और 16वीं लोक सभा में 5,214 विषयों पर चर्चा हुई, जबकि वर्तमान लोक सभा के चार साल के दौरान सदन में सबसे ज्यादा 5,253 विषयों पर चर्चा हई।
उन्होंने कहा कि 14वीं लोक सभा में सभी विधेयक पर चर्चा के दौरान कुल मिलाकर 1,450 सदस्य शामिल हुए थे लेकिन वर्तमान 17वीं लोक सभा में विधेयकों पर चर्चा के दौरान 2,405 सदस्य शामिल हुए।
महिला सांसदों को भी अधिक मौका मिलने की बात कहते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायी कार्यों, नीति-निर्धारण तथा कार्यक्रम क्रियान्वयन को बेहतर बनाने में महिला सदस्यों की भूमिका सुनिश्चित करने में भी 17वीं लोक सभा अग्रणी रही। गत चार वर्षों में 367 महिला सदस्यों ने विधेयकों पर चर्चा में भाग लिया। जबकि 14वीं लोक सभा में यह संख्या 103, 15वीं में 102 और 16वीं लोक सभा में 153 था।
बिरला ने कहा, लोक सभा अध्यक्ष के रूप में गत चार वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री, सदन के सभी दलों के नेताओं तथा सदस्यों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ। सभी सांसदों ने चर्चा और संवाद के द्वारा जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास किया। सदन जनभावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बने, इसके लिए सभी सदस्यों को अपना मत प्रस्तुत करने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाने के प्रयास किए गए। विधेयकों पर चर्चा हो अथवा शून्य काल, पहले की तुलना में अधिक सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने संसद के नए भवन का जिक्र करते हुए यह भी कहा, 17वीं लोक सभा के दौरान देश की जनता को संसद का नया भवन समर्पित किया गया। यह नया भवन उभरते हुए भारत के सामथ्र्य और क्षमताओं का प्रतीक है जो 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का उत्प्रेरक बनेगा। इस भवन में देश की गौरवशाली परम्पराओं को भी पुन: जीवंत किया गया है।
--आईएएनएस
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