आईएएनएस सीवोटर-इंडियाट्रैकर पोल: 52 प्रतिशत लोगों ने राजपक्षे सरकार को ठहराया श्रीलंका संकट का जिम्मेदार
हाल ही में सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के आधिकारिक आवासों पर कब्जा कर लिया। इस कड़ी में गुस्साएं प्रदर्शनकारियों ने पीएम विक्रमसिंघे के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने अपने बयान में कहा कि वे सर्वदलीय सरकार का मार्ग प्रशस्त करते हुए इस्तीफा देंगे।
कमजोर अर्थव्यवस्था के कारण मार्च से श्रीलंका में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। खाद्य कीमतें आसमान छू रही है, लोग दवाइयां नहीं खरीद पा रहे हैं। पेट्रोल पंपों पर ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारें लगना अब आम बात हो गई है।
श्रीलंकाई सरकार की दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों के साथ-साथ चीनी निवेश और कर्ज के जाल ने देश के आर्थिक संकट की खाई को और गहरा कर दिया है।
श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल के लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर लोगों के विचार जानने के लिए सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से एक देशव्यापी सर्वे किया।
सर्वे से पता चला कि पड़ोसी देश में चल रहे संकट के मुख्य कारण को लेकर लोगों की राय बंटी हुई थी। सर्वे के दौरान, जहां 52 प्रतिशत लोगों ने श्रीलंका में अशांति के लिए राजपक्षे सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं 48 प्रतिशत का मानना है कि देश में आर्थिक और राजनीतिक संकट का मुख्य कारण चीन है।
इस मुद्दे पर एनडीए वोटर्स और विपक्षी समर्थकों दोनों के विचार भी बंटे हुए दिखे। सर्वे के दौरान, एनडीए के 52 प्रतिशत वोटर्स और 52 प्रतिशत विपक्षी समर्थकों ने श्रीलंका में अराजक स्थिति के लिए राजपक्षे सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
वहीं, इसी मुद्दे पर शहरी और ग्रामीण मतदाताओं की राय भी अलग-अलग रही। सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, जहां 53 फीसदी शहरी मतदाताओं ने श्रीलंका संकट के लिए राजपक्षे सरकार को दोषी माना, तो वहीं 50 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं ने श्रीलंका के सबसे खराब आर्थिक संकट और राजनीतिक अशांति के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया।
--आईएएनएस
पीके/एएनएम