पूर्व सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा बर्खास्त होने के बाद भी पेगासस सूची में

नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। पेगासस लीक सूची में सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और उनके परिवार और राकेश अस्थाना के नंबर शामिल हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था।
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पूर्व सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा बर्खास्त होने के बाद भी पेगासस सूची में नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। पेगासस लीक सूची में सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और उनके परिवार और राकेश अस्थाना के नंबर शामिल हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की टेक लैब द्वारा उन आठ फोनों की फोरेंसिक रूप से पुष्टि की गई थी कि सैन्य ग्रेड स्पाइवेयर द्वारा सफलतापूर्वक समझौता किया गया था कि इसके इजरायली विक्रेता, एनएसओ ग्रुप का कहना है कि यह केवल सत्यापित सरकारों को बेचता है। दो अन्य फोनों ने लक्ष्यीकरण के संकेत दिखाए।

वर्मा के साथ, उनकी पत्नी, बेटी और दामाद के व्यक्तिगत टेलीफोन नंबरों को भी अंतत: सूची में रखा जाएगा, जिससे इस एक परिवार के कुल 8 नंबर बन जाएंगे।

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, नंबरों की सूची में सीबीआई के दो अन्य वरिष्ठ अधिकारी अस्थाना और ए.के. शर्मा के अलावा वर्मा का नाम भी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व निदेशक की तरह, दोनों पुरुषों को उनके पूर्व बॉस के लगभग एक घंटे बाद डेटाबेस में जोड़ा गया था। अस्थाना को 23 अक्टूबर 2018 की रात को सीबीआई से भी हटा दिया गया था और वर्तमान में वह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के प्रमुख हैं। शर्मा को उस महत्वपूर्ण प्रभार नीति प्रभाग के प्रमुख पद से हटा दिया गया था, जो उनके पास था। लेकिन जनवरी 2019 तक वह सीबीआई में रहे, बाद में उनका तबादला हो गया। वह इस साल की शुरुआत में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे।

कुछ समय के लिए लीक हुए डेटाबेस में अस्थाना, शर्मा, वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का नंबर आता है। फरवरी, 2019 के दूसरे सप्ताह तक, जिस समय तक वर्मा सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके थे, व्यक्तियों का यह पूरा समूह सरकारी एजेंसी के लिए दिलचस्पी का विषय नहीं रह गया था, जिसने उन्हें सूची में जोड़ा था।

सीबीआई में मध्यरात्रि तख्तापलट बमुश्किल दो दिन बाद आया जब वर्मा ने ब्यूरो में तत्कालीन विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में वर्मा की याचिका, उनकी बर्खास्तगी के कुछ दिनों बाद दायर की गई, जो खुद को बर्खास्त करने के कारण पर कुछ प्रकाश डालती है। उन्होंने कहा, उच्च पदाधिकारियों की कुछ जांच उस दिशा में नहीं ले जाती है जो सरकार के लिए वांछनीय हो सकती है।

उन्होंने कहा, राजनीतिक सरकार द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सभी प्रभाव स्पष्ट रूप से या लिखित रूप में नहीं पाए जाएंगे। अधिकतर नहीं, यह मौन है, और झेलने के लिए काफी साहस की आवश्यकता है।

--आईएएनएस

एसजीके