हुजूराबाद उपचुनाव प्रतिशोध से उपजा : वाई.एस. शर्मिला
शर्मिला तेलंगाना के उस विधानसभा सीट का जिक्र कर रही थीं, जो पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एटाला राजेंद्र के इस्तीफा देने के कारण खाली हो गई है। किसानों की जमीन कब्जाने का आरोप लगने के बाद राजेंद्र से इस्तीफा मांगने के कारण उनके और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बीच बड़ा मतभेद पैदा हो गया है।
राव ने भूमि अतिक्रमण के आरोपों के बाद, राजेंद्र को उनके मंत्री पद से हटा दिया, जिसके परिणामस्वरूप बाद में वह सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से निकलकर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में चले गए।
इन घटनाक्रमों के बाद, शर्मिला ने संकेत दिया कि उपचुनाव का उद्देश्य राजेंद्र और राव द्वारा एक-दूसरे से बदला लेना था।
नतीजतन, उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी आगामी हुजूराबाद उपचुनाव नहीं लड़ेगी।
शर्मिला ने कहा, क्या हुजूराबाद चुनाव का कोई फायदा है? हम हुजूराबाद उपचुनाव नहीं लड़ेंगे।
उन्होंने तर्क दिया कि क्या उपचुनाव लड़ने से बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा या दलितों को तीन एकड़ जमीन?
उन्होंने कहा, अगर वादा किया जाता है कि ये चीजें की जाएंगी तो हम भी चुनाव लड़ेंगे।
शर्मिला ने कहा कि वह तेलंगाना में पली-बढ़ी हैं और इसकी संस्कृति से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, मैंने ईद के लिए एक दोस्त के घर शीर कोरमा खाया और त्योहारों पर दूसरे दोस्त के घर जाकर बथुकम्मा और बोनालु खाना भी खाया। आप मेरे धर्म के बारे में पूछ रहे हैं। सभी का अपना धर्म होता है। जैसे आपका धर्म है, उसी तरह मेरा भी धर्म है।
शर्मिला ने रिपोर्टर से सवाल किया कि क्या उन्हें एक टेलीविजन चैनल के पत्रकार के रूप में या धर्म से संबंधित पत्रकार के रूप में प्रेस कॉन्फ्रेंस को कवर करने के लिए आमंत्रित किया गया था?
उन्होंने कहा, धर्म से आपको क्या काम है? कौन परवाह करता है कि आप अपने घर पर क्या करते हैं या मैं अपने घर पर क्या करती हूं।
--आईएएनएस
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