यूपी के 250 निजी स्कूलों ने दी आरटीई दाखिले रोकने की धमकी

लखनऊ, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के लगभग 250 गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को तब तक प्रवेश नहीं देने का फैसला किया है, जब तक राज्य सरकार शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी स्कूलों को देय पिछले तीन वर्षों की फीस नहीं देती है।
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यूपी के 250 निजी स्कूलों ने दी आरटीई दाखिले रोकने की धमकी लखनऊ, 9 सितम्बर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के लगभग 250 गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को तब तक प्रवेश नहीं देने का फैसला किया है, जब तक राज्य सरकार शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी स्कूलों को देय पिछले तीन वर्षों की फीस नहीं देती है।

अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (यूपीएसए) के प्रतिनिधिमंडल ने बुनियादी शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी मांगों पर गौर करने के अनुरोध के साथ मुलाकात की, जिसमें विफल रहने पर वे नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 से आरटीई के तहत एक भी छात्र को प्रवेश नहीं दे पाएंगे।

यूपीएसए के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा, शिक्षा के अधिकार 2009 की धारा 12 (2) और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के तहत, सरकार को आरटीई के तहत छात्रों को प्रवेश देने के लिए स्कूलों को एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है।

यह राशि एक वर्ष में प्रति छात्र अपनी कक्षा के अनुसार वास्तविक खर्च है। पिछले तीन वर्षों से सरकार ने आरटीई के तहत छात्रों को प्रवेश देने के लिए निजी स्कूलों को भुगतान नहीं किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने कोई फार्मूला नहीं बनाया है कि आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले छात्रों के प्रति छात्र खर्च का भुगतान स्कूलों को कैसे किया जाएगा।

यह घोषित किया गया था कि सरकार द्वारा प्रति आरटीई प्रवेश 450 रुपये दिए जाएंगे, लेकिन इस राशि की गणना कैसे की गई या किस फॉर्मूले का इस्तेमाल किया गया, यह स्कूलों को कभी नहीं बताया गया।

अग्रवाल ने कहा कि सभी कक्षाओं में छात्रों का खर्च एक जैसा नहीं हो सकता, क्योंकि वरिष्ठ वर्ग के शिक्षकों को दिया जाने वाला वेतन कनिष्ठ कक्षाओं के वेतन से अधिक होता है।

उन्होंने कहा, नियमों के मुताबिक सरकार को हर साल 30 सितंबर को पुनर्भुगतान राशि की गणना और अधिसूचना देनी होती है लेकिन ऐसा नहीं किया गया है।

--आईएएनएस

एचके/एएनएम