मध्यप्रदेश में बागी बने मुसीबत, पार्टियों के तेवर तल्ख

भोपाल, 22 जून (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में नामांकन वापस करने की तारीख निकल गई है। भाजपा और कांग्रेस के लिए कई स्थानों पर बागी मुसीबत बने हुए हैं। यही कारण है कि दोनों ही दलों ने बागियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है।
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मध्यप्रदेश में बागी बने मुसीबत, पार्टियों के तेवर तल्ख भोपाल, 22 जून (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव में नामांकन वापस करने की तारीख निकल गई है। भाजपा और कांग्रेस के लिए कई स्थानों पर बागी मुसीबत बने हुए हैं। यही कारण है कि दोनों ही दलों ने बागियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है।

ज्ञात हो कि राज्य में नगरीय निकाय के चुनाव दो चरणों में अगले माह होना है। दोनों ही राजनीतिक दल इस चुनाव को विधानसभा चुनाव के पहले का सेमीफाइनल में चल रहे हैं, यही कारण है कि उन्होंने चुनाव जीतने के लिए सारा जोर लगा दिया है। पहले उम्मीदवार चयन में माथापच्ची चली और अब कई बागियों के मैदान में आने से मुसीबतें बढ़ी हुई है।

बागियों द्वारा नामांकन किए जाने के बाद पार्टी की ओर से उन्हें मनाने की हर संभव कोशिश की गई। इसी का नतीजा रहा कि दोनों ही दलों ने कई उम्मीदवारों को मैदान से हटने के लिए राजी कर लिया, मगर अब भी बड़ी संख्या में बागी मैदान में है और यह बागी चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। नामांकन वापस लेने की तारीख निकलने के बावजूद दोनों दल मैदान में डटे उम्मीदवारों को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते, उसके बाद भी अगर उम्मीदवार मैदान में डटे रहे तो पार्टियां उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को तैयार है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि भाजपा में व्यवस्था है और उसके मुताबिक समन्वय स्थापित करने का प्रयास करते हैं, सभी लोग इस दिशा में समन्वय के लिए काम कर रहे हैं, इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं, जहां कोशिश सफल नहीं होगी, वहां भाजपा के संविधान मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।

वहीं, कांग्रेस के महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने अधिकृत प्रत्याशी घोषित किए हैं। इस आधार पर सभी जिला अध्यक्षों को बोला गया है कि वह अधिकृत सूची जारी होने के बाद अगर कोई और चुनाव लड़ेगा तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और सात साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाएगा।

दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए यह अच्छी खबर है कि राज्य के 16 नगर निगमों के चुनाव में महापौर पद के लिए कोई बड़ा नामचीन नेता मैदान में नहीं है। कुल मिलाकर महापौर पद के चुनाव में सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।

--आईएएनएस

एसएनपी/एसजीके