बिहार के राष्ट्रीय राजमार्ग के 20 किमी के हिस्से में 100 छोटे पूल के आकार के गड्ढे

पटना, 23 जून (आईएएनएस)। एक तरफ जहां बिहार की डबल इंजन सरकार राज्य में एक अच्छे सड़क नेटवर्क का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ मधुबनी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 227 के एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है जिसमें सड़क पर 100 छोटे पूल के आकार के गड्ढे दिखाई दे रहे हैं।
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बिहार के राष्ट्रीय राजमार्ग के 20 किमी के हिस्से में 100 छोटे पूल के आकार के गड्ढे पटना, 23 जून (आईएएनएस)। एक तरफ जहां बिहार की डबल इंजन सरकार राज्य में एक अच्छे सड़क नेटवर्क का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ मधुबनी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 227 के एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है जिसमें सड़क पर 100 छोटे पूल के आकार के गड्ढे दिखाई दे रहे हैं।

जिले के बासोपट्टी ब्लॉक में कलुआही गांव से उमगांव क्रॉसिंग तक 20 किमी से अधिक की दूरी में राजमार्ग में 100 से अधिक बड़े गड्ढे हैं।

स्थानीय निवासियों का दावा है कि 1990 की शुरुआत में सड़क अच्छी स्थिति में थी और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने इसे 2001 में राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिया था। उसके बाद, बिहार सरकार के सड़क निर्माण विभाग ने इस सड़क की देखभाल की। पिछले 20 सालों में हालत इस कदर बिगड़ी है कि अब यह गड्ढों से भर गया है।

स्थानीय निवासियों का दावा है कि जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक, स्थानीय विधायक, मंत्री और यहां तक कि मुख्यमंत्री सहित राज्य के सभी बड़े अधिकारियों द्वारा सड़क का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इसकी मरम्मत के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।

एक स्थानीय निवासी राजू कुमार ने कहा कि चूंकि सड़क नेपाल सीमा के करीब स्थित है, इसलिए भारी ट्रक नियमित रूप से इस पर चलते हैं जिससे स्थिति और भी खराब होती जा रही है। मानसून के मौसम के दौरान, सड़क पर छोटे-छोटे तालाब दिखाई देते हैं जो किसी को जंगल में यात्रा करने का अनुभव देते हैं।

स्थानीय विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने कहा, हमने तीन बार बिहार विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया, लेकिन सड़क निर्माण विभाग ने इस पर संज्ञान नहीं लिया।

दिलचस्प बात यह है कि बिहार के सड़क निर्माण मंत्री नितिन नवीन नीतीश कुमार सरकार में भाजपा कोटे के तहत आते हैं।

इस सड़क के ठेकेदार रवींद्र कुमार ने कहा, विभाग ने मुझे टेंडर आवंटित किया है, लेकिन फंड जारी नहीं किया है। निर्माण सामग्री की दर पहले ही बढ़ाई जा चुकी है। हम अपने मजदूरों को भुगतान करने में असमर्थ हैं। इसलिए, सड़कों की मरम्मत अभी तक नहीं हो पाई है।

--आईएएनएस

एसकेके/एएनएम