दिल्ली: भूजल स्तर में 2 मीटर तक की बढ़ोतरी, 26 एकड़ के तालाब से 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज

नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। राजधानी दिल्ली में पानी की कि ल्लत दूर करने में ग्राउंड वाटर को रिचार्ज परियोजना एक मील का पत्थर साबित हुई है। अब बड़े स्तर पर मॉनसून के दौरान यमुना नदी में बाढ़ के पानी से ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने की योजना है। दिल्ली को पहली कामयाबी 26 एकड़ की पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना में मिली है। यहां 2019 से लेकर 2021 तक तीन सालों में औसतन करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है। अब करीब 1000 एकड़ क्षेत्रफल के प्रोजेक्ट से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज किया जाएगा।
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दिल्ली: भूजल स्तर में 2 मीटर तक की बढ़ोतरी, 26 एकड़ के तालाब से 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। राजधानी दिल्ली में पानी की कि ल्लत दूर करने में ग्राउंड वाटर को रिचार्ज परियोजना एक मील का पत्थर साबित हुई है। अब बड़े स्तर पर मॉनसून के दौरान यमुना नदी में बाढ़ के पानी से ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करने की योजना है। दिल्ली को पहली कामयाबी 26 एकड़ की पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना में मिली है। यहां 2019 से लेकर 2021 तक तीन सालों में औसतन करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है। अब करीब 1000 एकड़ क्षेत्रफल के प्रोजेक्ट से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज किया जाएगा।

ऐसे में इस परियोजना के सफल नतीजों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट को इस साल भी जारी रखने का फैसला लिया है। इसी सिलसिले में गुरुवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह परियोजना 40 एकड़ में फैली है, जिसमें से 26 एकड़ में एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है। इसका उपयोग दिल्ली में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार साल 2020 और 2021 में प्री-मॉनसून और पोस्ट-मॉनसून सीजन के दौरान की गई स्टडी में यह पाया गया कि इस परियोजना के चलते ग्राउंड वाटर रिचार्ज होकर यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है, जिससे पूरे दिल्ली का भूजल स्तर बेहतर हो रहा है।

राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी में मॉनसून के दौरान लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिसमें करोड़ों लीटर पानी यमुना से होते हुए बह जाता था। ऐसे में दिल्ली ने तीन साल पहले मानसून के मौसम में नदी से गुजरने वाले इस अतिरिक्त बाढ़ के पानी को इकट्ठा करने के लिए यमुना नदी के पास मौजूद बाढ़ के मैदान में पर्यावरण के अनुकूल पल्ला प्रोजेक्ट कि शुरुआत की।

इसके तहत 26 एकड़ का एक तालाब बनाया गया, जहां बाढ़ के पानी का संचय होता है। इसका इस्तेमाल राजधानी में भूजल को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। भूजल स्तर में बढ़ोतरी की मात्रा का पता लगाने के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं। पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ के पानी का संचय करना है, ताकि साल भर इस संचित किए गए पानी का इस्तेमाल भूजल स्तर को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके। इस परियोजना के सफल नतीजे देखने को मिले हैं, जिससे साबित होता है कि इस परियोजना से ग्राउंड वाटर तेजी से रिचार्ज हो रहा है।

दिल्ली में पिछले 10 सालों में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के शुरू होने के बाद भूजल स्तर आधे से 2 मीटर तक बढ़ा है। ये नतीजे उत्साहित करने वाले हैं। इस सफल नतीजे के आधार पर इस प्रॉजेक्ट को अब एक साल ओर जारी रखने का फैसला लिया गया है। जहां वर्तमान में करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है।

सिसोदिया के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 1000 एकड़ तक बढ़ने से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो सकेगा। इसी के साथ यह प्रोजेक्ट सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश के सूखाग्रस्त और पानी की किल्लत झेल रहे राज्यों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण साबित होगा। उन्होंने बताया कि पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना केजरीवाल सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है। पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस स्ट्रेच पर प्राकृतिक तौर पर गड्ढे (जलभृत) बनाए गए हैं। मानसून या बाढ़ आने पर पानी इसमें भर जाता है। नदी का पानी जब उतरता है, तो गड्ढ़ों में पानी बचा रहता है। जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वो व्यर्थ नहीं बहेगा।

--आईएएनएस

जीसीबी/एएनएम