सूखे की आपात स्थिति का सामना कर रहे 23 देशों में पाकिस्तान भी शामिल

इस्लामाबाद, 15 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तान उन 23 देशों में शामिल है, जो पिछले दो वर्षों (2020-2022) में सूखे की आपात स्थिति का सामना कर रहा हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी ग्लोबल लैंड आउटलुक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।
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सूखे की आपात स्थिति का सामना कर रहे 23 देशों में पाकिस्तान भी शामिल इस्लामाबाद, 15 मई (आईएएनएस)। पाकिस्तान उन 23 देशों में शामिल है, जो पिछले दो वर्षों (2020-2022) में सूखे की आपात स्थिति का सामना कर रहा हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी ग्लोबल लैंड आउटलुक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली।

डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण और सूखा दिवस (17 जून) से पहले संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि, पिछली शताब्दी में सूखे से प्रभावित लोगों की सबसे अधिक संख्या एशिया में थी।

रिपोर्ट द्वारा सूचीबद्ध 23 देश अफगानिस्तान, अंगोला, ब्राजील, बुर्किना फासो, चिली, इथियोपिया, ईरान, इराक, कजाकिस्तान, केन्या, लेसोथो, माली, मॉरिटानिया, मेडागास्कर, मलावी, मोजाम्बिक, नाइजर, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, पाकिस्तान, अमेरिका और जाम्बिया हैं।

रिपोर्ट 2050 तक परिणामों और जोखिमों की भविष्यवाणी करती है, और कहती है कि 2050 तक, भारत और पाकिस्तान के आकार के बराबर 4 मिलियन वर्ग किमी के अतिरिक्त प्राकृतिक क्षेत्रों को फिर से बहाल करना होगा, जिसमें जैव विविधता, जल विनियमन, मिट्टी और कार्बन स्टॉक के संरक्षण, और महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के प्रावधान के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल होंगे।

धरती की 40 प्रतिशत तक भूमि खराब हो गई है, सीधे तौर पर आधी मानवता को प्रभावित करती है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग आधा हिस्सा यानि 44 ट्रिलियन डॉलर के बराबर है।

रिपोर्ट में कहा गया है, अगर यही स्थिति 2050 तक रही तो दक्षिण अमेरिका के आकार के क्षेत्र में अतिरिक्त गिरावट होगी।

इसमें कहा गया है कि, 2030 तक खराब हो चुके एक अरब हेक्टेयर को बहाल करने के लिए राष्ट्रों को 1.6 ट्रिलियन डॉलर की जरूरत होगी, जो आज के वार्षिक डॉलर 700 बिलियन जीवाश्म ईंधन और कृषि सब्सिडी का एक अंश है।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, आधुनिक इतिहास में किसी अन्य बिंदु पर मानवता ने इस तरह के परिचित और अपरिचित जोखिमों और खतरों का सामना नहीं किया है, जो एक हाइपर-कनेक्टेड और तेजी से बदलती दुनिया का हिस्सा है।

--आईएएनएस

पीजेएस/एसकेपी