बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोवा में वृक्ष अधिकारियों के काम न करने की निंदा की
न्यायमूर्ति एम.एस. जावलकर और एम.एस. सोनक ने एक आदेश में गोवा सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि पेड़ अधिकारियों की हर तीन महीने में कम से कम एक बार बैठक हो, निर्णय लेने में विशेषज्ञों को शामिल किया जाए। साथ ही, वन और सरकारी भूमि को छोड़कर राज्यभर में मौजूदा पेड़ों की गणना आरएफआईडी और जियो-टैगिंग जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर एक वर्ष की अवधि के भीतर की जाए।
अदालत मुंबई स्थित लिविंग हेरिटेज फाउंडेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि गोवा, दमन और दीव पेड़ संरक्षण अधिनियम, 1984 (पेड़ अधिनियम) के तहत गठित जिला वृक्ष प्राधिकरण वस्तुत: निष्क्रिय थे और उन्होंने मांग की थी कि उनके कामकाज की निगरानी के लिए एक अदालत की निगरानी वाली समिति बनाई जाए।
वृक्ष प्राधिकरण में एक सचिव स्तर का अधिकारी, जिला कलेक्टर, दो विधायक, सरकार द्वारा नामित स्थानीय निकायों के दो प्रतिनिधि, सदस्य सचिव के रूप में राज्य वन संरक्षक शामिल हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, याचिका, दो हलफनामे और रिकॉर्ड पर आई अन्य सामग्री पर विचार करने के बाद हमें यह कहना चाहिए कि हम यह जानकर बेहद व्यथित हैं कि ट्रीज एक्ट के तहत गठित ट्री अथॉरिटीज ने कम से कम तब से काम नहीं किया है, जब वर्ष 2012 में इन दो वृक्ष प्राधिकरणों का गठन किया गया।
कोर्ट ने कहा, यह केवल वैधानिक कर्तव्यों की अवहेलना का कुछ उदाहरण नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा उदाहरण है जो गोवा राज्य में पेड़ों के संरक्षण के लिए इस तरह के अधिकारियों और उनके सदस्यों के कम सम्मान की ओर इशारा करता है।
--आईएएनएस
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