Uttarakhand News - उत्तराखंड के इन गुरुजनों को प्रणाम, जिन्होंने सुगम को ठुकराकर दुर्गम में ही नौकरी करने की ठानी

 

Uttarakhand News - प्रदेश में इन दिनों शिक्षक जहां देहरादून और हरिद्वार समेत कुछ जिलों के सुगम विद्यालयों में तैनाती के लिए विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, 3897 शिक्षक ऐसे हैं, जो सुगम में तबादलों के बजाए पहाड़ के दूरदराज के दुर्गम और अति दुर्गम विद्यालयों में ही अपनी सेवा देना चाहते हैं. वाकई इन गुरुजनों को प्रणाम है. 

 

इन शिक्षकों ने विभाग को सुगम में तबादले के बजाए दुर्गम में ही बने रहने के लिए आवेदन दिया है। उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत इन दिनों शिक्षा विभाग में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है. इन शिक्षकों ने विभाग को सुगम में तबादले के बजाए दुर्गम में ही बने रहने के लिए आवेदन दिया है। उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम 2017 के तहत इन दिनों शिक्षा विभाग में शिक्षकों और कर्मचारियों के तबादलों की प्रक्रिया चल रही है. 

 

मिसाल हैं ये शिक्षक - 
शिक्षा विभाग के वे शिक्षक जो वर्षों से पहाड़ के दूरदराज के विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं। इसके बाद भी वे सुगम में न आकर पहाड़ में ही बने रहना चाहते हैं। शासन, प्रशासन के उन अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए मिसाल हैं, जो पहाड़ में सेवा को सजा मानते हैं. इन शिक्षकों ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें सुगम क्षेत्र के विद्यालयों में तैनाती नहीं चाहिए। इसमें 1248 प्रवक्ता हैं। जबकि सहायक अध्यापक एलटी के गढ़वाल मंडल में 1543 और कुमाऊं मंडल में 1102 शिक्षक शामिल हैं। शिक्षा निदेशक के मुताबिक सुगम में तैनाती न चाहने वाले ये शिक्षक दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों में ही बने रहेंगे।