नैनीताल - मैट्रोपोल मामले में अतिक्रमणकारियों को राहत नहीं, जानिए हाई कोर्ट का सख्त लहजा 
 

 

नैनीताल - मैट्रोपोल इलाके में कई बर्षों से काबिज अतिक्रमणकारियों को नैनीताल हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली नैनीताल उच्च न्यायालय में शत्रु सम्पत्ति मैट्रोपोल मामले में याचिकाकर्ता महमूद अली व अन्य की खारिज करते हुए अतिक्रमणकारियों को समय देने से इनकार कर दिया गया है। मामले में याचिकाकर्ता महमूद अली और याचिका में आए अन्य कब्जेदारों ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ से कहा कि वो अंडरटेकिंग नहीं दे सकते और कोर्ट आदेश पारित कर ले। खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए ध्वस्तीकरण रोकने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता महमूद अली व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर प्रार्थना की थी कि उनके मकान ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि एसडीएम ने उन्हें नोटिस जारी कर  उन्हें जमीन खाली कर जाने को कहा। वह सौ वर्षों से उस भूमि में काबिज हैं और अब कहाँ जाएं। 

 

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने दोपहर लंच के बाद उपस्थित होकर कहा कि वो अंडरटेकिंग नहीं दे सकते हैं। उन्हें मानवता के नाते अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ समय दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने साफ लहज़े में कहा कि वो याचिका को खारिज कर रहे हैं और अतिक्रमणकारियों को कोई समय नहीं देंगे।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किस अधिकार से आप भूमि को अपना कह रहे हैं। आप इसे शत्रु सम्पत्ति कह रहे हैं तो क्या आपको कब्जा करने का अधिकार मिल गया।  मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आप अपना टाइटल संबंधित न्यायालय में जाकर डिसाइड कराएं, वो यहां इसे तय नहीं करेंगे। अंत में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सभी लोग एक अंडरटेकिंग देकर ये कहें कि वो दस दिनों के भीतर अतिक्रमण हटा देंगे नहीं तो न्यायालय अपना आदेश सुनाएगा।