Uttarakhand Police - उत्तराखंड को फिर मिलेगा नया DGP, अभिनव कुमार की कुर्सी पर क्यों मड़राया संकट, रेस में हैं यह नाम 

 

Uttarakhand Police New DGP  - उत्तराखंड के कार्यवाहक DGP का पद संभाल रहे अभिनव कुमार की कुर्सी पर संकट मड़रा गया है. आईपीएस अभिनव कुमार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी और काफ़ी तेज तर्रार अधिकारी माने जाते हैं। यही कारण है कि अभी तक उन्हें डीजीपी की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था। पर अब यह संभव नहीं है. इन 10 महीनों में DGP कई बार चर्चाओं में भी रहे. उत्तराखंड पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा इस पर चर्चा तेज हो गई है. 


UPSC ने जताई असहमति - 
उत्तराखंड में इन दिनों पुलिस विभाग के मुखिया यानी पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार के नाम पर स्थाई डीजीपी के लिए UPSC के द्वारा असहमति जताई गई है। उत्तराखंड के मौजूदा डीजीपी अभिनव कुमार का उत्तर प्रदेश कैडर होने के चलते पैनल की तरफ़ से असहमति व्यक्त की गई है. आईपीएस अभिनव कुमार के नाम पर केंद्र द्वारा असहमति जतायें जाने की खबर के बाद अब चर्चा यह भी होने लगी है कि डीजीपी की दौड़ में दीपम सेठ, डॉ पीवीके प्रसाद और अमित कुमार सिन्हा ही रह गए हैं.


इन आईपीएस अधिकारियों का नाम चर्चा में - 
केंद्र में संघ लोक सेवा आयोग ने स्क्रूटनी करने के बाद 03 पुलिस अधिकारियों नाम उत्तराखंड सरकार को भेजे हैं, और यह सभी अधिकारी उत्तराखंड कैडर के भी हैं। जिनमें से 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ,1995 बैच के ही आईपीएस अधिकारी डॉ पीवीके प्रसाद और 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी अमित कुमार सिन्हा का नाम भी शामिल हैं. 

 

यह भी पढ़ें - 
उत्तराखंड पुलिस को मिला नया DGP, कौन हैं IPS अभिनव कुमार जो धारा 370 और आर्यन केस से आये थे चर्चा में - 
https://www.newstodaynetwork.com/uttarakhand/uttarakhand-police-gets-new-dgp-who-is-ips-abhinav-kumar/cid12865540.htm

 

सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाहक DGP पर उठाये थे सवाल - 
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में ही उत्तर प्रदेश समेत 6 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति को लेकर नोटिस जारी किया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में आईपीएस अधिकारियों की वरिष्ठता और नियमों की अनदेखी करते हुए कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किए जा रहे हैं. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर 2024 को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया.  इस याचिका को सविता पांडे ने दायर किया था. जिसमें कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्तियों पर सवाल उठाए गए थे. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल समेत केंद्र शासित प्रदेश नई दिल्ली को नोटिस जारी करते हुए छह हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है. 


पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और त्रिवेंद्र रावत ने दिए थे बयान - 
हाल में ही हरिद्वार में सराफा दुकान में करोड़ों की हुई चोरी के खुलासे के बाद अभिनव कुमार ने कहा की प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को अपनी पुलिस और सरकार पर विश्वास रखना चाहिए, इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा की रिटायर्ड मेन्ट के बाद कांग्रेस ज्वाइन करने की प्राथमिकता DGP दी जाएगी, वहीं इस बयांन पर त्रिवेंद्र रावत तो इतने खफा थे की उन्होंने DGP को कायदे में रहने तक की हिदायत दे डाली थी. साथ ही कहा की प्रदेश की पुलिस अस्थाई मुखिया के जरिये नहीं संभाली जा सकती है. गौरतलब है की इससे पहले त्रिवेंद्र ने बढ़ते अपराध पर पुलिस पर सवाल उठाये थे. 


हल्द्वानी दौरा रहा चर्चाओं में - 
हाल में ही 26 सितम्बर को पहली बार हल्द्वानी पहुंचे DGP का दौरा भी चर्चाओं में रहा जहां वह न तो वह दिव्यांगों से मिले और ना ही खनस्यूं में पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे गए युवक से, ऐसे में लोगों में काफी गुस्सा था, लोकगायक दीपक सुयाल को DGP ने दिव्यांग मानने से इंकार कर दिया था, जब्कि दीपक ने दावा किया की उनके पास स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिया गया दिव्यांग प्रमाण पत्र था.  इसके बाद अल्मोड़ा में दिए गए DGP का एक बयान फिर चर्चाओं में रहा जहां वह कहते दिखे की वह युवक दिव्यांग नहीं था, ऐसी हरकत करने पर उसे दिव्यांग बना सकते हैं. यह बयांन भी काफी वायरल हुआ है.