हल्द्वानी - अतिक्रमण मामले में रेलवे बोला हमें फ़ौरन चाहिए जमीन, सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्वास पर यह कहा, अब इस दिन होगी सुनवाई 
 

 

हल्द्वानी - सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हल्द्वानी के बहुचर्चित रेलवे प्रकरण में सुनवाई की, कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण करने वाले इंसान हैं. अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं, ⁠अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत है और राज्य को भी कुछ करने की ज़रूरत है, केंद्र, उत्तराखंड सरकार और रेलवे को एक बैठक बुलाने और उन परिवारों के लिए पुनर्वास नीति बनाने का निर्देश दिया, जिन्हें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटे भूमि से विस्थापित किया जाएगा। 


शीर्ष अदालत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से सटे रेलवे भूमि से अनधिकृत कब्जेदारों को हटाने का निर्देश दिया गया था. रेलवे ने कहा कि ट्रैक और स्टेशन विस्तार के लिए तुरंत ज़मीन की ज़रूरत है। वही रेलवे की तरफ से कहा गया की वो वन्दे भारत वहां चलाना चाहते हैं, इसको लेकर प्लेटफॉर्म को बढ़ा करने की जरूरत है, ⁠इसके अलावा ट्रैक पर पानी भर जाता है. SC ने रेलवे, उत्तराखंड और केंद्र सरकार से अधिग्रहण के लिए ज़मीन और उससे प्रभावित परिवारों की पहचान को कहा। पुनर्वास योजना बनाने भी कहा। ये पुनर्वास योजना ऐसी हो जिसमें सब सहमत हो। मामले की 11 सितंबर को अगली सुनवाई होगी।

 

शीर्ष अदालत ने विवादित भूमि पर वर्षों से रह रहे लोगों को हटाने के लिए उच्च न्यायालय से आदेश प्राप्त करने के लिए जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए रेलवे की खिंचाई की, जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की और कहा कि 50,000 से अधिक लोगों वाले 4365 परिवार "अतिक्रमणित भूमि" पर रह रहे हैं, उन परिवारों के लिए पुनर्वास नीति बनाने का निर्देश दिया।